डूंगरपुर: जनजातीय उपयोजना क्षेत्र में फर्जी मूल निवास प्रमाण पत्रों पर सीपीआईएम का मोर्चा, कलेक्टर से उच्च स्तरीय जांच की मांग

डूंगरपुर:  कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की जिला कमेटी डूंगरपुर ने शुक्रवार को जिला कलेक्टर को एक गंभीर ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने जिले में टीएसपी मूल निवास प्रमाण पत्र (जनजातीय उपयोजना प्रमाण पत्र) के नाम पर फर्जीवाड़े के मामलों की जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

ज्ञापन में पार्टी ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि डूंगरपुर जिला 2013 से जनजातीय उपयोजना (TSP) में शामिल है, जहां अनुसूचित क्षेत्र के आदिवासी युवाओं को रोजगार व अन्य योजनाओं में प्राथमिकता दी जाती है. लेकिन अधिसूचना 2013 व संशोधित अधिसूचना 2016 के नियमों की अवहेलना करते हुए गैर अनुसूचित क्षेत्र के लोग फर्जी तरीके से मूल निवास प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी नौकरियां प्राप्त कर रहे हैं.

एक उदाहरण से खुला फर्जीवाड़े का मामला

सीपीआईएम ने एक ठोस उदाहरण देते हुए बताया कि भरतपुर निवासी लोकेंद्र दुशेष को डूंगरपुर जिले में टीएसपी मूल निवास प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी दी गई, जबकि उनके पिता कलुआराम दुशेष की पहली नियुक्ति वर्ष 1994 में हुई थी और स्थायी नियुक्ति 1996 में डूंगरपुर में हुई. नियमों के अनुसार, मूल निवासी प्रमाण पत्र तभी बन सकता है जब व्यक्ति के माता-पिता 1970 के पूर्व से इस क्षेत्र के निवासी रहे हों.  ऐसे में यह प्रमाण पत्र पूर्णतः फर्जी माना जाना चाहिए.

पार्टी की प्रमुख मांगे 

  • फर्जी प्रमाण पत्र की जांच कर खारिज किया जाए
  • लोकेंद्र दुशेष जैसे सभी मामलों की निष्पक्ष जांच कर उनके मूल निवास प्रमाण पत्र रद्द किए जाएं
  • अधिकारियों पर कार्रवाई हो
  • फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारियों पर जांच समिति गठित कर सख्त कार्रवाई की जाए

पिछली सभी भर्तियों की समीक्षा हो 

पार्टी ने राजस्थान सरकार से पिछले 10 वर्षों की सभी विभागीय भर्तियों की जांच की मांग की है, ताकि अनुसूचित क्षेत्र के युवाओं के अधिकार सुरक्षित किए जा सकें.

आंदोलन की चेतावनी

सीपीआईएम जिला कमेटी ने चेतावनी दी है कि यदि उक्त मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो पार्टी जनजातीय अधिकारों की रक्षा के लिए ज़ोरदार आंदोलन छेड़ेगी, जिसकी समस्त ज़िम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी.

Advertisements
Advertisement