डूंगरपुर: जिले के दोवड़ा थाना क्षेत्र में चोरी के एक मामले ने सनसनीखेज मोड़ ले लिया है. आरोपी दिलीप अहारी (22) पुलिस गिरफ्तारी के बाद गंभीर रूप से बीमार हो गया और उसे उदयपुर रेफर करना पड़ा, जहां वह वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है.परिजनों का आरोप है कि थाने में बेरहमी से पिटाई की गई, जिससे उसकी हालत बिगड़ी.
गिरफ्तारी का विवादित तरीका
वस्सी स्कूल में चोरी की घटना सामने आने के बाद पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर दिलीप अहारी की तलाश शुरू की. शुक्रवार देर रात पुलिस उसके गांव पहुंची, लेकिन वह नहीं मिला. इस दौरान पुलिसकर्मी उसके छोटे भाई गोविंद को उठाकर थाने ले गए. परिजनों के अनुसार, पुलिस ने शर्त रखी कि जब तक दिलीप अहारी थाने नहीं आएगा, गोविंद को छोड़ा नहीं जाएगा. बाद में दिलीप को सिंचाई कॉलोनी से गिरफ्तार किया गया और गोविंद को छोड़ा गया.
थाने से अस्पताल तक
परिवार का कहना है कि गिरफ्तारी के बाद दिलीप अहारी पूरी रात पुलिस कस्टडी में रहा. शनिवार दोपहर अचानक उन्हें सूचना मिली कि उसकी तबीयत बिगड़ गई है. जब परिजन जिला अस्पताल पहुंचे तो दिलीप अहारी बेहोश और घायल अवस्था में मिला. शरीर पर लाठियों के गहरे निशान थे। हालत गंभीर होने पर रविवार को उदयपुर रेफर किया गया.
परिजनों के आरोप
दिलीप की भुआ जशोदा अहारी ने कहा – “गिरफ्तारी के समय वह बिल्कुल स्वस्थ था. पुलिस की लाठियों ने उसकी सांसें छीन लीं.” पिता जीवराम अहारी, जो मजदूरी कर परिवार का पेट पालते हैं, रोते हुए बोले – “क्या गरीब का बेटा इतना सस्ता है कि पुलिस उसे यूं ही पीट दे?”
राजनीतिक दबाव और विरोध
घटना ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है. आसपुर विधायक उमेश डामोर, कांग्रेस प्रत्याशी राकेश रोते और दोवड़ा प्रधान सागर अहारी व आसपास ग्राम पंचायत के सरपंच समेत बड़ी संख्या में लोग थाने के बाहर धरने पर बैठ गए. प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर तुरंत कार्रवाई की मांग की. विधायक डामोर ने कहा – “पुलिस आम लोगों को डराने और पीटने की आदत बना चुकी है. छोटे भाई को थाने उठाकर ले जाना निंदनीय है. ”
इस पूरे विवाद पर एसपी मनीष कुमार ने कहा कि आरोप निराधार हैं. “दिलीप अहारी नशे का आदी है और उसकी हालत उसी कारण बिगड़ी है. पुलिस मारपीट के आरोप पूरी तरह गलत हैं.