डूंगरपुर: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) कांग्रेस सरकार की अहम योजना में से एक रही है और मोदी सरकार मनरेगा की अनदेखी करती आ रही है और पिछले लंबे समय से योजना को कमजोर करने पर तुली हुई है. उक्त उद्गार राष्ट्रीय नेता व पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा ने शुक्रवार को एक बयान जारी किया है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपनी रणनीति के तहत मनरेगा को खत्म करना चाह रही है लेकिन आमजन इस रणनीति को सफल नहीं होने देगा. भगोरा ने कहा कि बढ़ती मंहगाई को देखते हुए मनरेगा योजना की दैनिक मजदूरी 500 रुपये करने की जरूरत है, मौजूदा समय में मनरेगा की दैनिक मजदूरी दर बिलकुल कम है. भगोरा ने कहा कि मनरेगा दुनिया की सबसे बड़ी सामाजिक योजना है और इस योजना की कई उपलब्धि है, लेकिन मौजूदा सरकार के दौर में इस योजना का भविष्य सुरक्षित नहीं दिख रहा है.
पूर्व सांसद ने कहा कि वित्त मंत्रालय द्वारा जारी नियम के तहत पहली छ: माही में सरकारी योजना के तहत 60 फीसदी से अधिक खर्च करने पर रोक लगाने का काम किया गया है. मनरेगा के तहत पांच महीने में ही बजट में आवंटित 60 फीसदी राशि खर्च हो चुकी है. ऐसे में नियम के तहत मनरेगा में आने वाले समय में कोई पैसा खर्च नहीं हो सकता है और इससे करोड़ों ग्रामीण आबादी पर असर पड़ने की संभावना है.
पूर्व सांसद भगोरा ने कहा कि पिछले लंबे समय से लगातार मनरेगा के बजट आवंटन में कमी की गई है. पिछले तीन साल में देश में महंगाई के उच्च स्तर के बावजूद मनरेगा फंड को बढ़ाने का काम नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि यह योजना मांग पर आधारित है, लेकिन सरकार की सोच के कारण करोड़ों ग्रामीण मजदूर को काम नहीं मिल पा रहा है. यही नहीं मजदूरों का भुगतान भी तय समय में नहीं हो रहा है जबकि नियम के तहत 15 दिनों के अंदर भुगतान करना जरूरी है और ऐसा नहीं करने पर मजदूरों को मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है.
पूर्व सांसद भगोरा ने कहा कि मनरेगा का 20-30 फीसदी बजट का पैसा पिछले साल के बकाया भुगतान करने पर खर्च हो रहा है जबकि पिछले लंबे समय से मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी में कोई वृद्धि नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत मिलने वाले वेतन में वृद्धि के लिए संसद की स्थायी समिति का गठन होना चाहिए, साथ ही मनरेगा के तहत होने वाले भुगतान के लिए तकनीक के प्रयोग पर तत्काल रोक लगाने की मांग की.
उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत भुगतान के लिए नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम और आधार आधारित भुगतान प्रणाली पर रोक लगाने की जरूरत है, क्योंकि इस प्रणाली के कारण देश के करोड़ों मजदूरों को भुगतान करने में देरी हो रही है.
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