छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में सरकारी नौकरी का झांसा देकर लड़कियों को बंधक बनाया गया। उनसे मार्केटिंग का काम करवाया जाता था। लेकिन सैलरी नहीं दी जाती थी। कंपनी की 5-10 लड़कियां इन्हें कहती थी कि फेसबुक-इंस्टाग्राम पर लड़कों को फंसाओ, कंपनी में बुलाओ, तभी पेमेंट मिलेगा। मामला पद्मनाभपुर थाना थाना क्षेत्र का है।
जानकारी के मुताबिक, कंपनी का नाम गुडवे फैशन प्राइवेट लिमिटेड है। जो कि कॉस्मेटिक और कपड़े का मार्केटिंग करती है। बोरसी के कदम प्लाजा में अलग-अलग जिलों से करीब 150 से 200 लड़कियां बंधक बनाई गई हैं। सभी लड़कियां एक-दूसरे के जरिए कंपनी में पहुंची थी। पीड़ित लड़कियों का आरोप है कि उन्हें 25 से 30 हजार रुपए सैलरी वाली नौकरी का झांसा देकर बुलाया गया।
फिर बंधक बना लिया गया। मोबाइल छीन लिए गए, घर वालों से बात नहीं करने दी गई और आधी रात को लड़कों को सोशल मीडिया के जरिए फंसाने का दबाव बनाया गया। ये करने कंपनी की 5- 10 लड़कियां इन पर दबाव बनाती हैं। इनकी प्रताड़ना से तंग आकर भानुप्रतापपुर की लड़की सुसाइड करने जा रही थी। लेकिन बाकी लड़कियों ने उसे रोक लिया। हालांकि, इस मामले में पीड़िताओं की शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
ऐसे हुआ मामले का खुलासा?
दरअसल, भानुप्रतापपुर में रहने वाली लड़की ने किसी तरह इस मामले की जानकारी अपने माता-पिता को दी। उन्होंने कांकेर के रहने वाले आरएसएस कार्यकर्ता रवींद्र जैन को इसकी जानकारी दी। उन्होंने दुर्ग के बजरंग दल के प्रांत संयोजक रतन यादव से संपर्क किया।
इधर, लड़की के माता-पिता भी विजयादशमी वाले दिन दुर्ग पहुंचे। उन्होंने कंपनी में बात कर बेटी और 4 अन्य लड़कियों को दशहरा दिखाने के बहाने रतन यादव के पास ले गए और उन्होंने सारी बात बताई।
7 के खिलाफ केस दर्ज
इसके बाद 3 अक्टूबर को बजरंग दल के कार्यकर्ता कंपनी पहुंचे और जमकर हंगामा किया। मामले में पुलिस ने 7 लोगों पर केस दर्ज किया है। जिसमें रामभरोष साहू, सत्यम पटेल, साहिल कश्यप, सौरभ चौधरी, राहुल सौंधिया, वेदप्रकाश शास्त्री और साधना पटेल के नाम शामिल हैं।
एक पीड़िता ने बताया कि उसे कंपनी के सीनियर ने भरोसा दिलाया था कि पढ़ाई-लिखाई की कोई जरूरत नहीं, यहां काम से ही भविष्य बनेगा। लेकिन जैसे ही ट्रेनिंग शुरू हुई, चार दिन में ही पूरा माइंडसेट बदलने की कोशिश की गई।
पांचवें दिन इंटरव्यू (अप्रूवल) के नाम पर दबाव बनाया गया कि नए लड़कों को भी भर्ती करवाओ तभी पेमेंट मिलेगा। पीड़िता का कहना था कि कंपनी में किसी को भी असल में काम नहीं करना होता, बल्कि सबको अपने जैसे और लोगों को फंसाकर लाना पड़ता है।
जॉब के नाम पर मांगते थे 46,000 रुपए
एक अन्य पीड़िता ने बताया कि उससे 3000 रुपए ट्रेनिंग फीस मांगी गई और बाद में 46,000 रुपए जमा करने का दबाव बनाया गया। घर वालों को झूठ बोलना पड़ा कि गवर्नमेंट जॉब मिली है और लाइसेंस और नॉमिनी के नाम पर पैसे देने होंगे। कंपनी में हर वक्त उनकी निगरानी होती थी। यहां तक कि वॉशरूम या सोने तक जाने पर भी नजर रखी जाती थी।
पीड़िता ने कहा कि हमें कहा जाता था कि फेसबुक-इंस्टाग्राम पर लड़कों को फंसाओ, उन्हें कंपनी में बुलाओ। अगर घर जाने की बात करते तो धमकी देते कि घरवालों को बता देंगे कि तुम बॉयफ्रेंड बाजी करती हो।
खाना भी समय पर नहीं दिया जाता था। लड़कियों के मुताबिक, सुबह-रात को ही थोड़ा-सा खाना मिलता था और रात 2-3 बजे तक लड़कों से सोशल मीडिया पर चैट करने के लिए मजबूर किया जाता था।
कंपनी में न पढ़ाई, न जॉब, बस पैसों की चेन का खेल- पीड़िता
कंपनी के भीतर की हकीकत को लेकर एक और पीड़िता बोली- यहां पढ़ाई या जॉब जैसी कोई चीज नहीं है। हमें बार-बार कहा जाता है कि डिग्री लेकर क्या करोगे, बेरोजगार ही रहोगे। असल में यह सब केवल पैसों की चेन बनाने का खेल है।
बजरंग दल ने थाने पहुंचाई 5 पीड़ित लड़कियां
बजरंग दल के रतन यादव, रवि निगम और ज्योति शर्मा ने संयुक्त रूप से बताया कि पांच पीड़ित लड़कियां उनके पास मदद के लिए आई थीं। उन्होंने कहा कि बोरसी के कदम प्लाजा के गुडवे फैशन प्राइवेट लिमिटेड नामक ऑफिस में 100-150 लड़के-लड़कियों को तरह बंधक बनाकर रखा गया है।
इनमें अधिकतर बच्चे वनांचल क्षेत्र के साथ ही दूसरे प्रदेशों से आए हुए हैं। उनकी प्रताड़ना से तंग आकर कर एक लड़की आत्महत्या करने जा रही थी, उनके साथ चार और लड़कियों को आज हम यहां थाने लेकर शिकायत दर्ज कराने आने आए हैं।
सरकारी नौकरी का लालच देकर लड़कियों को फंसाया
बजरंग दल कार्यकर्ता ज्योति शर्मा ने कहा कि कल हमारे पास पांच लड़कियां आईं थी। सरकारी नौकरी के नाम पर उन लड़कियों को यहां बुलाया गया था। यहां इन लड़कियों को बंधक बनाकर रखा गया था। इन्हें घरवालों से बात करने भी नहीं दी जाती थी। दिन और रात में लड़कियों को खाने के लिए एक मुठ्ठी चावल दिया जाता था।
इन लड़कियों को रात 2 बजे उठाकर फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लड़कों से बात करने के लिए दबाव बनाया जाता था। कंपनी की तरफ से लड़कियों से कहा गया था कि यहां से तभी जाने को मिलेगा, जब वो दूसरी लड़कियों को यहां बुलाकर लाएंगे।
बेटी को नौकरी दिलाने के लिए लिया कर्ज
धमतरी की पीड़िता के पिता ने कहा कि हमारे बच्चों को नौकरी का झांसा देकर प्राइवेट कंपनी में ज्वाइनिंग कराई गई। उन्होंने बताया कि मेरी बेटी को उसकी फ्रेंड के जरिए इस कंपनी के बारे में पता चला।
इसके बाद मेरी बेटी भी यहां आ गई। कंपनी ने ट्रेनिंग के नाम पर पहले तीन हजार रुपए लिए। ट्रेनिंग के बाद कहा गया कि कंपनी को पैसे देने होंगे, उसके हिसाब से उसे 15 हजार रुपए पेमेंट मिलेगा।
उन्होंने कहा कि इन बातों के झांसे में आकर मैंने पांच प्रतिशत ब्याज पर पैसे लेकर बेटी को 47 हजार रुपए कैश दिया था। पैसा देने के बाद पेमेंट भी नहीं मिल रहा है। पिछले सात महीने से मुझे पेमेंट के नाम पर घुमाया जा रहा है।
कंपनी ने बोरसी में करीब 150 से 200 बच्चों फंसे हुए हैं। पुलिस अधीक्षक से मांग है कि कंपनी में जमा पैसा वापस करवाए। साथ ही वहां फंसे बच्चों को छुड़ाएं।
मामले की जांच जारी- CSP
मामले पर दुर्ग सीएसपी हर्षित मेहर ने बताया कि पद्मनाभपुर पुलिस को पीड़ित लड़कियों की ओर से लिखित शिकायत मिली है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि कंपनी नौकरी के नाम पर युवाओं से 20,000 रुपए से अधिक की रकम वसूलती है और नए लोगों को जोड़ने का दबाव डालती है।
पुलिस ने 7 के खिलाफ केस दर्ज किया है। मामले की जांच की जा रही है। जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी।