पंजाब के फिरोजपुर जिले के तारा वाली गांव में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सैनिकों को चाय, दूध और लस्सी पहुंचाने वाले 10 साल के शवन सिंह (स्वर्ण सिंह) की बहादुरी और सेवा भाव को भारतीय सेना ने सराहा है. लिहाजा सेना ने ऐलान किया है कि वह अब 10 साल के शवन की पूरी पढ़ाई का खर्च उठाएगी.
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक सेना की गोल्डन ऐरो डिवीजन ने साहसी शवन सिंह के समर्पण और जज्बे की सराहना करते हुए उसकी शिक्षा का पूरा ज़िम्मा लेने का निर्णय लिया है. शनिवार को फिरोज़पुर कैंटोनमेंट में आयोजित एक सम्मान समारोह में वेस्टर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने शिवन को सम्मानित भी किया.
घटना उस समय की है, जब 7 मई को भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और PoK में स्थित आतंकी ठिकानों पर मिसाइल से हमले किए थे.इसके बाद बौखलाए पाकिस्तान ने सीमा पर भारतीय चौकियों को निशाना बनाया और गोलाबारी शुरू कर दी थी.
इसी दौरान शवन सिंह, जो कि फिरोजपुर के ममदोट इलाके के तारा वाली गांव का रहने वाला है और चौथी कक्षा में पढ़ता है, खुद ही सैनिकों के लिए पानी, बर्फ, चाय, दूध और लस्सी लेकर पहुंचा था. गोलियों की आवाज़ों और तनावपूर्ण माहौल के बीच उसकी निर्भीक सेवा भावना ने सेना के जवानों का दिल जीत लिया.
फौजी बनना चाहता है शवन सिंह
शिवन ने कहा था कि मैं बड़ा होकर फौजी बनना चाहता हूं. मुझे देश की सेवा करनी है. उसके पिता ने भी गर्व से कहा था कि बेटे ने बिना किसी के कहे खुद से सैनिकों को राशन पहुंचाया और सैनिक भी उसे बहुत प्यार करने लगे. तारा वाली गांव अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज 2 किलोमीटर दूर है. वहीं, सेना ने शिवन की इस कहानी को देश के निस्वार्थ नायकों की मिसाल बताया है, जो बिना किसी उम्मीद के देश की सेवा करते हैं और जिनकी सराहना जरूरी है.
क्यों हुआ था ऑपरेशन सिंदूर?
बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था. इसके तहत जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर स्थित ठिकाने और लश्कर-ए-तैयबा के मुरिदके स्थित ठिकानों पर हमले किए गए थ.