श्योपुर में ‘कमाई का खेल’? प्राइवेट गाड़ियां, सरकारी भुगतान और हर महीने लाखों की बंदरबांट

श्योपुर : दूसरों को नियमों की दुहाई देने बाली विजयपुर की तहसीलदार मैडम साहिबा नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं.और इससे जिले के कोई भी अधिकारी बचे नहीं हैं.चाहे डीएम हो या फिर जिला पंचायत सीईओ.अधिकांश अधिकारी अपने विभाग में प्राइवेट वाहनों का कॉमर्शियल उपयोग कर रहे हैं.

Advertisement

जिससे सरकार को हर साल लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है.प्राइवेट वाहनों को विभागों से हटाने के लिए पूर्व डीएम द्वारा निर्देश भी जारी किया गया था.उस समय लगभग सभी विभागों को विभागों को लिखित निर्देश देते हुए तत्काल निजी वाहनों को हटाने को कहा था.लेकिन, निर्देश जारी करने वाले डीएम भी खुद प्राइवेट वाहन का उपयोग कर रहे थे। फिर अन्य अधिकारी उस निर्देश का पालन कैसे करते. लिहाजा अब भी अधिकांश सरकारी विभागों की स्थिति यथावत है.

जिलेभर के अलग-अलग विभागों में करीब 100 से ज्यादा प्राइवेट वाहनों का कॉमर्शियल उपयोग किया जा रहा है। डीएम कार्यालय में भी प्राइवेट वाहन हैं.जिन्हें किराए पर रखा गया है। इसी तरह डीडीसी, एसडीएम एसडीओ, समेत दर्जनों अधिकारी उक्त निजी वाहनों का नियमों को ताक पर रखकर व्यवसायिक उपयोग कर रहे हैं.

सूत्रों की मानें तो प्राइवेट वाहन को सरकारी विभागों में कमिशन पर लगाया जाता है। कॉमर्शियल वाहन के दर से प्राइवेट वाहनों का भुगतान होता है. इसके एवज में गाड़ी लगाने से लेकर भुगतान तक में वाहन मालिकों को कमिशन देना पड़ता है। हालांकि इस तरह की बातों को विभागीय अधिकारी बेबुनियाद बताते हैं.

लोगों का आरोप यह नियम गरीबों पर लागू होते है इन अधिकारियों पर नहीं 

स्थानीय निवासी दीपक ने बताया कि जिले में सरकारी विभागों में प्राइवेट वाहनों का उपयोग करना पूरी तरह से गलत है. पंरतु सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया जा रहा है. और पुलिस के अधिकारी नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं जबकि उनके अधिकारी प्राइवेट वाहनों का उपयोग कर कमर्शियल वाहनों के नाम से पैसा भी वसूल रही है.और पुलिस तो बाइक बालों को पकड़कर उन पर चालान बनाती है. सरकार को ध्यान देना चाहिए.

कांग्रेस जिला अध्यक्ष का आरोप यह भी एक रैकेट 

कांग्रेस जिला अध्यक्ष अतुल चौहान का आरोप है कि सरकार इतने बड़े प्रदेश को चला रही है. और लगातार हजार करोड़ रुपए का कर्ज भी ले रही है.10 से 12 लाख की गाड़ियां नहीं खरीद सकती क्या. कही ना कही शासकीय लोग जो रहते हैं जो इसकी निगरानी रखते है जिसके ऊपर यह काम रहता है.कही ना कहीं इसके भी भ्रष्टाचार रहता है प्राइवेट लोगों से मिलकर हर महीने पैसे बचाना सरकार खुद ध्यान नहीं दे रही कही ना कहीं यह रैकेट पूरे प्रदेश में चल रहा है.

20 से 25 गाड़ियां सरकार प्राइवेट ले रही है और भुगतान कर रही है हर महीने कुछ लाखों में गाड़ियां खरीद सकती है जो 10 साल तो चल सके कही ना यह पैसा सरकार का नहीं है जनता का पैसा है. जिनकी देखरेख में यह चल रहा है कही ना कही बहुत सारा पैसा उनके बीच बंटता है. हजार करोड़ का कर्ज लेने वाली सरकार हजारों गाड़ियां खरीद नहीं सकती क्या.कही ना कही यह भी एक रैकेट है इसकी आवाज में जल्द ही उठाऊंगा.

Advertisements