तेजी से घूम रही धरती, लेकिन छोटे होते जा रहे जा रहे दिन, रिपोर्ट में दावा

धरती तेजी से घूम रही है और इस वजह से दिन छोटे होते जा रहे हैं. एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आने वाले हफ्तों में धरती सामान्य से तेज गति से घूमेगी, जिससे दिन थोड़े छोटे हो जाएंगे. लाइव साइंस ने वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार यह जानकारी दी है कि 9 जुलाई, 22 जुलाई और 5 अगस्त को चंद्रमा की स्थिति धरती के रोटेशन को प्रभावित करेगी, जिससे हर दिन 24 घंटों से 1.3 से 1.51 मिलीसेकंड छोटा हो जाएगा.

आमतौर पर, धरती पर एक दिन करीब 86,400 सेकंड या 24 घंटे का होता है, लेकिन साइंस न्यूज पोर्टल लाइव साइंस के अनुसार, धरती का रोटेशन अभी स्थिर नहीं है; यह कई वजहों से प्रभावित भी है, जिनमें चंद्रमा और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल, ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र और प्राकृतिक या मानवीय गतिविधियों के कारण पृथ्वी के द्रव्यमान में बदलाव शामिल हैं. हालांकि अगले कुछ हफ्तों में, चंद्रमा की स्थिति में बदलाव की वजह से धरती पर दिन थोड़े छोटे हो जाएंगे.

करोड़ों साल पहले एक दिन में कितने घंटे

ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो धरती का रोटेशन धीरे-धीरे धीमा होता चला गया है. आज से करीब 1 से 2 अरब साल पहले, एक दिन महज 19 घंटे का हुआ करता था, खासकर इसलिए क्योंकि चंद्रमा धरती के बहुत करीब था और उसके गुरुत्वाकर्षण का असर बहुत ज्यादा था. अध्ययनों से यह भी पता चला है कि करीब 7 करोड़ साल पहले रहने वाले टायरानोसॉरस रेक्स के दौर में औसत रोजाना का रोटेशन करीब 23 1/2 घंटे का रहा होगा. फिर समय के साथ, चंद्रमा जैसे-जैसे धरती से दूर होता गया, दिन लंबे होते चले गए.

इस हफ्ते अब तक साल के सबसे छोटे दिन देखे गए हैं. यूएस नेवल ऑब्जरवेटरी (US Naval Observatory) और इंटरनेशनल अर्थ रोटेशन एंड रिफ्रेंस सिस्टम सर्विस (International Earth Rotation and Reference Systems Service) द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, बुधवार के दिन धरती का रोटेशन 24 घंटे से करीब 1.34 मिलीसेकंड कम था. टाइम एंड डेट वेबसाइट के पूर्वानुमानों के अनुसार, इस महीने के अंत में और अगस्त की शुरुआत में और तेज चक्कर लगने की उम्मीद है.

पिछले साल जुलाई में दर्ज हुआ था सबसे छोटा दिन

खास बात यह है कि 2020 में, वैज्ञानिकों ने धरती के रोटेशन को 1970 के दशक के बाद से किसी भी समय की तुलना में तेजी से दर्ज किया. अब तक का सबसे छोटा दिन 5 जुलाई, 2024 को दर्ज किया गया था, जो सामान्य से 1.66 मिलीसेकंड छोटा था.

हालांकि यह पूरी तरह से असामान्य प्रक्रिया नहीं है. हाल के दिनों में यह रोटेशन सामान्य से तेज रहे हैं. पिछले एक दशक में औसत दिन का आकार थोड़ा छोटा हो गया है. पिछले 5 सालों में, कई बार 24 घंटे से भी कम समय में रोटेशन पूरा हो गया है.

हालांकि दिन होने की प्रक्रिया लंबी नहीं होगी

अगले कुछ दिनों में धरती की इक्वेटर से चंद्रमा की दूरी ग्रह के घूमने की गति को बढ़ा सकती है, उसी तरह जैसे एक घूमता हुआ लट्टू अपनी धुरी बदलने पर तेजी से घूमता है. जलवायु संबंधी बदलाव, जैसे बर्फ का पिघलना और भूजल का प्रवाह, भी पृथ्वी के रोटेशन में बदलाव की वजह बने हैं. यहां तक कि भूकंप और मौसमी परिवर्तन भी दिनों की लंबाई पर असर डाल सकते हैं.

हालांकि यह भी देखने वाली बात है कि दीर्घकालिक रुझान यह इशारा नहीं करते कि दिन हमेशा के लिए छोटे होते जाएंगे. हकीकत में यह इसके विपरीत है क्योंकि करोड़ों सालों में दिन लंबे ही होते चले गए हैं.

ऑस्टिन स्थित टेक्सास यूनिवर्सिटी के अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के रिसर्च प्रोफेसर क्लार्क आर. विल्सन ने दावा करते हुए कहा कि दिनों की लंबाई बढ़ने का यह रुझान जारी रहने की उम्मीद है, हालांकि यह प्रक्रिया बहुत ही धीमी है कि यह दर “मानव समय के पैमाने से कहीं अधिक” है.

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