अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में मंगलवार को तड़के सुबह 6.2 तीव्रता का भूकंप आया. जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज (GFZ) के अनुसार, भूकंप 10 किलोमीटर की गहराई में आया था. फिलहाल, किसी तरह के नुकसान या हताहत की कोई खबर नहीं है. अंडमान सागर एक भूकंपीय रूप सेए एक्टिव क्षेत्र है, इसलिए भूकंप आना आम बात है. यह दिल्ली-एनसीआर में आए हालिया भूकंपों के लगभग दो हफ़्ते बाद आया है.
अंडमान निकोबार द्वीप समूह में तड़के सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. इस दौरान भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6 से ज्यादा रही है. हालांकि तेज झटकों के बाद भी किसी तरह के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है. हालांकि इन झटकों ने लोगों को डरा दिया है.
भूकंप के झटकों ने लोगों को डराया
अंडमान सागर और उसके आसपास के द्वीप क्षेत्र भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील माने जाते हैं. यहां अक्सर भूकंप के झटके लोगों को महसूस होते रहते हैं. देशभर में जुलाई के महीने में कई जगहों पर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. अकेले देश की राजधानी दिल्ली में जुलाई महीने में 3 बार भूकंप के झटके महसूस हुए हैं. लगातार आ रहे भूकंप ने लोगों और विशेषज्ञों और आपदा प्रबंधन एजेंसियों को सतर्क कर दिया है.
22 जुलाई गुजरात के कच्छ में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. क्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.6 मापी गई थी . भूकंपीय गतिविधियों में बढ़ोतरी देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग हालात पर लगातार नजर रख रहा है.
क्यों लगते हैं भूकंप के झटके
धरती का बाहरी सतह सभी को ही शांत और स्थिर नजर आता है. हालांकि इसके अंदर हमेशा उथल-पुथल मची रहती है. भूगर्भीय प्लेटों के टकराने के कारण हर साल सैकड़ों भूकंप आते हैं. इन झटकों को लेकर एक्सपर्ट बताते हैं कि धरती 12 टेक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो जो ऊर्जा निकलती है, वह भूकंप का कारण बनती है.