रोटी-चावल और चिकन खाना हुआ सस्ता, इतनी घट गई वेज-नॉनवेज थाली की कीमत

भारत की ज्यादातर आबादी के खाने में नॉन-वेज शामिल है, हालांकि मान्यता है कि भारत में ज्यादातर लोग वेज खाना ही खाते हैं. खैर ये खबर वेजिटेरियन और नॉन-वेजेटेरियन दोनों ही लोगों के लिए खुशखबरी लाने वाली है. देश में अब वेज खाना और नॉन-वेज खाना सस्ता हो गया है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिसिस की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है फरवरी के महीने में वेज और नॉन-वेज दोनों तरह की थाली के दाम घटे हैं.

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‘रोटी चावल की कीमत’ (Roti Rice Price) नाम की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि प्याज-आलू-टमाटर की कीमतें घटने से जहां वेज थाली की लागत घटी है. वहीं ब्रॉयलर चिकन के दाम गिरने से नॉन-वेज थाली सस्ती हुई है.

इतने घटे वेज, नॉन-वेज थाली के दाम

रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी में शाकाहारी (वेजेटेरियन) और मांसाहारी (नॉन-वेजेटेरियन) थाली की लागत में जनवरी के मुकाबले पांच प्रतिशत की कमी आई है. इसका कारण सब्जी और ब्रॉयलर की कीमतों में कमी आना है. प्याज, आलू और टमाटर की नई फसल आने के बाद इनकी कीमतों में क्रमशः 7 प्रतिशत, 17 प्रतिशत और 25 प्रतिशत की गिरावट आई है.

वहीं साउथ इंडिया में ‘बर्ड फ्लू’ की आशंका के चलते चिकन की मांग गिरी है. इसके चलते ब्रॉयलर चिकन की कीमतों में भी लगभग 5 प्रतिशत की गिरावट आई है. क्रिसिल इंटेलिजेंस में रिसर्च डायरेक्टर पी. शर्मा का कहना है कि शाकाहारी थाली की कीमत की वजह सब्जियों के दाम में गिरावट, खासकर के प्याज, टमाटर और आलू की कीमतों में नरमी है. वहीं नॉन-वेज थाली के मामले में ब्रॉयलर की कीमतों में कमी ने कीमत घटाने का काम किया है.

सालाना आधार पर दामों में आया ये फर्क

अगर पिछले साल के फरवरी के आंकडों से तुलना करें, तो घर में पकाई गई वेज थाली की लागत फरवरी में एक प्रतिशत घटी है. जबकि नॉन-वेज थाली की कीमत में लगभग 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. सालाना आधार पर वेजेटेरियन थाली की कीमत पर टमाटर और एलपीजी (रसोई गैस) सिलेंडर की कीमत का असर सबसे ज्यादा पड़ा है. इनके दाम काफी कम हुए हैं. टमाटर की कीमत सालाना आधार पर 28 प्रतिशत घटकर 23 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई है, जो सालभर पहले करीब 32 रुपये प्रति किलोग्राम थी. इस साल नई फसल के बाद टमाटार की आवक 20 प्रतिशत तक बढ़ी है.

वहीं नॉन-वेज थाली की कीमत सालाना आधार पर 15 प्रतिशत बढ़ी है. इसकी मुख्य वजह ब्रॉयलर की कीमत बढ़ना है. मांसाहारी थाली की लागत में ब्रॉयलर की हिस्सेदारी करीब 50 प्रतिशत है. इसकी कीमत में उछाल इसलिए भी ज्यादा देखने को मिल रहा है, क्योंकि पिछले साल तुलनात्मक इसकी कीमत काफी कम थी. मक्का की कीमत में 6 प्रतिशत की सालाना बढ़ोतरी के कारण चारे की बढ़ी हुई कीमत ने भी नॉन-वेज थाली की कीमत बढ़ाने में योगदान दिया है.

क्रिसिल का कहना है कि घर पर थाली तैयार करने की औसत लागत की गणना उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में प्रचलित कच्चे माल की कीमत के आधार पर की गई है.

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