EC ने चिदंबरम के बयान का किया फैक्ट चेक, तमिलनाडु में 6.5 लाख वोटर जोड़ने का दावा किया खारिज

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम द्वारा तमिलनाडु में 6.5 लाख नए वोटर जोड़ने के दावे और चुनाव आयोग (EC) पर लगाए गए आरोपों को लेकर आयोग ने रविवार को तीखी प्रतिक्रिया दी है. EC ने इन बयानों को “भ्रामक और तथ्यहीन” बताया और कहा कि बिहार में चल रही Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया को तमिलनाडु से जोड़ना ठीक नहीं है, क्योंकि तमिलनाडु में अभी तक यह प्रक्रिया शुरू ही नहीं हुई है.

चिदंबरम ने अपने एक एक्स पोस्ट में दावा किया था कि तमिलनाडु में प्रवासी मजदूरों को वोटर के रूप में जोड़ा जा रहा है, जो राज्य की जनता के सरकार चुनने के अधिकार में “गंभीर हस्तक्षेप” है. उन्होंने लिखा, “जब बिहार में 65 लाख वोटर के वोट कटने की आशंका है, वहीं तमिलनाडु में 6.5 लाख नए वोटर जोड़े जा रहे हैं, जो कि गैरकानूनी है.”

चिदंबरम ने सवाल उठाया कि अगर कोई प्रवासी मजदूर बिहार में स्थायी घर रखता है और वहीं उसका परिवार रहता है, तो उसे तमिलनाडु में ‘स्थायी रूप से प्रवासित’ कैसे माना जा सकता है? उन्होंने EC पर “अपने अधिकारों का दुरुपयोग” करने और राज्यों के इलेक्टोरल कैरेक्टर को बदलने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया.

चुनाव आयोग ने चिदंबरम के बयान का फैक्ट चेक किया

इसके जवाब में चुनाव आयोग ने एक फैक्ट-चेक पोस्ट जारी कर कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(e) के तहत हर नागरिक को भारत के किसी भी हिस्से में रहने और बसने का अधिकार है. साथ ही, Representation of the People Act, 1950 की धारा 19(b) के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति जो किसी निर्वाचन क्षेत्र में ‘साधारण निवासी’ है, उसे उस क्षेत्र की इलेक्टोरल रोल में नाम दर्ज कराने का अधिकार है.

तमिलनाडु में SIR प्रक्रिया शुरू नहीं हुई- चुनाव आयोग

EC ने उदाहरण देते हुए कहा, “कोई व्यक्ति जो तमिलनाडु से है लेकिन दिल्ली में साधारण रूप से रहता है, वह दिल्ली में वोटर के रूप में रजिस्टर्ड हो सकता है. उसी तरह, कोई बिहार से है और चेन्नई में रहता है, तो वह चेन्नई में वोटर बन सकता है.”

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि तमिलनाडु में SIR प्रक्रिया शुरू ही नहीं हुई है, इसलिए यह दावा करना कि वहां 6.5 लाख नए वोटर जोड़े गए हैं, “पूरी तरह से गलत और भ्रामक” है. आयोग ने यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक नेता मीडिया में “झूठी जानकारी फैला रहे हैं” ताकि SIR प्रक्रिया को बाधित किया जा सके.

आयोग ने अंत में दोहराया कि वोटर के एनरोलमेंट की जिम्मेदारी स्वयं वोटरों की है और उन्हें वहीं रजिस्टर्ड होना चाहिए जहां वे साधारण रूप से निवास करते हैं.

Advertisements
Advertisement