प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुग्राम लैंड मामले में कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा को समन जारी कर बुधवार 16 अप्रैल को फिर से पूछताछ के लिए बुलाया है. ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा से मंगलवार को भी पूछताछ की है.
ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा से शिकोहपुर भूमि सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के सिलसिले में तीन घंटे पूछताछ की. पूछताछ के बाद ईडी ऑफिस से बाहर निकले वाड्रा ने केंद्र सरकार पर एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया.
ईडी ऑफिस से बाहर निकलने के बाद वाड्रा ने दावा किया कि जब भी वह नरेंद्र मोदी सरकार और उनकी नीतियों के खिलाफ बोलते हैं तो केंद्र केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करना शुरू कर देते हैं.
इस मामले में कुछ भी नहीं है’
मामले को उत्पीड़न का हथियार बताते हुए वाड्रा ने मीडिया से कहा, ‘इस मामले में कुछ भी नहीं है. पिछले बीस सालों में मुझे 15 बार बुलाया गया और हर बार 10 घंटे से ज्यादा वक्त तक पूछताछ की गई. मैंने 23 हजार डॉक्यूमेंट जमा किए हैं.’
वाड्रा ने आरोप लगाया कि संघीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है. उन्होंने आजतक से कहा, ‘वे मुझे चुप कराने की कोशिश कर रहे हैं. वे राहुल को संसद में रोकते हैं…’
देता रहूंगा सवालों के जवाब: वाड्रा
उन्होंने ईडी ऑफिस जाते वक्त कहा, ‘जब भी मैं लोगों के लिए बोलता हूं और उनकी बात सुनता हूं, तो वे मुझे दबाने की कोशिश करते हैं… मैंने हमेशा सभी सवालों के जवाब दिए हैं और आगे भी देता रहूंगा.’
बताते चलें कि ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा को 8 अप्रैल को पहला समन जारी किया था, लेकिन वह जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए. केंद्रीय जांच एजेंसी उनकी कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से संबंधित कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है.
ईडी के अनुसार, वाड्रा की कंपनी ने फरवरी 2008 में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से गुरुग्राम के शिकोहपुर में 3.5 एकड़ का प्लॉट 7.5 करोड़ रुपये में खरीदा था. इसके बाद वाड्रा की कंपनी ने इस जमीन को रियल एस्टेट की दिग्गज कंपनी डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया.
केंद्रीय एजेंसी को संदेह है कि ये रकम मनी लॉन्ड्रिंग स्कीम का हिस्सा हो सकती है, इसलिए वह इस अप्रत्याशित लाभ के पीछे के पैसे की जांच कर रही है.