रायपुर: जिला खनिज निधि घोटाले से जुड़े केस में ईडी ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. प्रवर्तन निदेशालय ने आईएएस रानू साहू सहित 9 लोगों की 21.47 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली है. डीएमएफ यानि जिला खनिज निधि घोटाले में धन शोधन के तहत जांच की जा रही है.
जिला खनिज निधि घोटाला
ईडी के रायपुर जोनल दफ्तर ने 9 दिसंबर 2024 को जारी एक अंतरिम कुर्की आदेश के बाद जमीन, आवासीय संपत्तियां, सावधि जमा और बैंक बैलेंस सहित कई संपत्तियों को कुर्क किया. जिन संपत्तियों को कुर्क किया गया उसमेंं आईएएस रानू साहू और नौ अन्य आरोपियोंं माया वारियर, राधेश्याम मिर्झा, भुवनेश्वर सिंह राज, वीरेंद्र कुमार राठौर, भरोसा राम ठाकुर, संजय शेंडे, मनोज कुमार द्विवेदी, हृषभ सोनी और राकेश कुमार शुक्ला के नाम शामिल हैं. जिनकी डीएमएफ घोटाला मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत जांच की जा रही है.
ईडी ने अटैच की संपत्ति
ईडी ने भारतीय दंड संहिता 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज तीन अलग-अलग प्रथम सूचना रिपोर्ट के आधार पर जांच शुरू की. रिपोर्ट मेंं आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार के अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ मिलीभगत करके डीएमएफ की हेराफेरी की साजिश रची गई.
प्रवर्तन निदेशालय का बयान
ईडी ने एक बयान में कहा, “डीएमएफ अनुबंधों को धोखाधड़ी से हासिल करने के लिए, ठेकेदारों ने भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को अनुबंध मूल्य का 15 प्रतिशत से 42 प्रतिशत तक कमीशन और अवैध रिश्वत का भुगतान किया. ईडी की जांच ने डीएमएफ घोटाले के तौर-तरीकों का खुलासा किया है और यह पता चला है कि ठेकेदारों के बैंक खाते में जमा किए गए धन का एक बड़ा हिस्सा ठेकेदारों द्वारा सीधे नकद में निकाल लिया गया था या आवास प्रवेश प्रदाताओं को ट्रांसफर कर दिया गया.
पूर्व में हुई कार्रवाई
ईडी ने ठेकेदारों, लोक सेवकों और उनके सहयोगियों के विभिन्न परिसरों में कई तलाशी ली थी और इसके परिणामस्वरूप 2.32 करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी और आभूषण जब्त किए गए. जांच से पता चला कि जब्त की गई रकम डीएमएफ कार्यों के निष्पादन के दौरान इन लोक सेवकों द्वारा प्राप्त रिश्वत राशि का हिस्सा थी. इस मामले में अब तक कुल अपराध आय 90.35 करोड़ रुपये है, जिसमें 9 दिसंबर तक 23.79 करोड़ रुपये की अचल और चल संपत्तियां अनंतिम रूप से कुर्क, जब्त और फ्रीज की गई है.