छत्तीसगढ़ में 3,200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 30 आबकारी अधिकारियों को पूछताछ के लिए समन जारी किया है। ये वही अधिकारी हैं जिन्हें इसी मामले में ईओडब्ल्यू के केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी। इन अधिकारियों में एक अतिरिक्त आयुक्त, पांच उपायुक्त, 14 सहायक आयुक्त और सात जिला आबकारी अधिकारी शामिल हैं। इनमें से सात अधिकारी अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
ईडी ने मनी लांड्रिंग से जुड़े मामले में पीएमएलए की धारा 50 के तहत नोटिस जारी किया है। जांच एजेंसी ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए इस बड़े घोटाले में प्रदेश के विभिन्न जिलों में पदस्थ रहे इन अधिकारियों को आरोपित बनाया है। ईडी की जांच के अनुसार, यह घोटाला 2019 से 2023 के बीच संचालित हुआ।
जांच के दौरान यह सामने आया कि इन अधिकारियों ने शराब बिक्री और वितरण में गड़बड़ी कर राज्य को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुँचाया। ईडी ने इनके खिलाफ मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया है और सभी को पूछताछ के लिए बुलाया है। गिरफ्तारी से बचने के लिए ये अधिकारी सुप्रीम कोर्ट गए थे, जहां उन्हें एक-एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी गई थी।
समन भेजे गए अधिकारियों में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त आशीष श्रीवास्तव, उपायुक्त अनिमेष नेताम, विजय सेन शर्मा, अरविंद कुमार पटले, नीतू नोतानी ठाकुर, नोहर सिंह ठाकुर, प्रमोद कुमार नेताम, रामकृष्ण मिश्रा, विकास कुमार गोस्वामी, नवीन प्रताप सिंह तोमर, सौरभ बख्शी, दिनकर वासनिक, सोनल नेताम, प्रकाश पाल, आलेख राम सिदार, आशीष कोसम और राजेश जयसवाल शामिल हैं। इसके साथ ही सेवानिवृत्त सहायक आयुक्त जीएस नुरूटी, वेदराम लहरे और एलएल ध्रुव भी शामिल हैं।
जिला आबकारी अधिकारियों में इकबाल खान, मोहित कुमार जायसवाल, गरीबपाल सिंह, सेवानिवृत्त जेआर मंडावी, देवलाल वैद्य, एके अनंत और सहायक जिला आबकारी अधिकारी जनार्दन कौरव, नितिन खंडूजा, मंजूश्री कसार व एके सिंह को नोटिस भेजा गया है। ईडी की इस कार्रवाई से स्पष्ट हो गया है कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ जांच तेज हो रही है और सभी जिम्मेदारों को कड़ी सजा दिलाने के प्रयास जारी हैं।