बुधवार को रायपुर, दुर्ग-भिलाई और राजिम में प्रवर्तन निदेशालय रेड के बाद टीम 20 घंटे बाद लौटी। रेड के दौरान एजेंसी को अहम दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस मिले हैं। जिसे जब्त कर टीम अपने साथ ले गई है। एजेंसी को मिले सबूतों के आधार पर जल्द अन्य कारोबारियों पर भी ED का शिकंजा कस सकता है।
बात दें कि बुधवार को ED की टीम कारोबारी विनय गर्ग, पवन पोद्दार और सतपाल छाबड़ा समेत दुर्ग, भिलाई और राजिम के आधा दर्जन कृषि, खाद कारोबारियों और चार्टर्ड अकाउंटेंट के ठिकाने में दबिश दी थी। डीएमएफ घोटाले की जांच के दौरान इन कारोबारियों का नाम सामने आया है।
टेंडर प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर हेरफेर
जांच में सामने आया है कि कृषि उपकरण सप्लाई के नाम पर DMF की राशि को मन मुताबिक खर्च किया गया। आरोप है कि निलंबित IAS रानू साहू ने अपने पद को दुरुपयोग करते समय टेंडर प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया। इसके अलावा फर्जी प्रोजेक्ट बनाकर ट्रेनिंग, मेडिकल उपकरण खरीद और मटेरियल सप्लाई को भी DMF फंड से खरीदी गया
DMF फंड से खरीदी के नाम पर मन चाहे एजेंसी और ठेकेदारों को टेंडर दिया गया। जिसके एवज में ठेकेदारों और कारोबारियो से मोटा कमिशन अधिकारियों और नेताओं तक पहुंचाया जाता था। साथ ही NGO के जरिए कमिशन का पैसा नेताओं तक भी पहुंचाया गया।
वसुंधरा नगर में अन्ना एग्रो टेक प्राइवेट लिमिटेड के दफ्तर और ठिकानों पर छापेमारी की। यह कंपनी कृषि उपकरणों की सप्लाई करने का काम करती है। यहां 6 से अधिक अधिकारी पहुंचे थे, जो कंपनी के वित्तीय लेन-देन और अन्य दस्तावेजों की जांच कर डॉक्यूमेंट अपने साथ ले गए।
वहीं, दूसरी टीम भिलाई के शांति नगर में चार्टर्ड अकाउंटेंट आदित्य दीनोदिया अग्रवाल के निवास पहुंची थी। आदित्य अग्रवाल का ऑफिस रायपुर में है, लेकिन उनकी भिलाई स्थित कोठी पर ईडी की दो अधिकारियों की टीम डिजिटल डिवाइस जब्त किए है।
राजिम में कारोबारी के घर छापा
गरियाबंद जिले के राजिम में उगम राज कोठारी के मकान और दुकान पर ईडी ने छापा मारा। कारोबारी कृषि यंत्रों की सप्लाई का शासन से ठेका लेता है। अधिकारी सुबह दो इनोवा वाहन में कारोबारी के घर पहुंचे। घर और मकान को चारों तरफ से सील किया गया। जिसके बाद दस्तावेज खंगाले गए।
अब समझिए क्या है DMF घोटाला
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक ED की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। इस केस में यह तथ्य निकल कर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गईं है।
टेंडर भरने वालों को अवैध फायदा पहुंचाया गया। ED के तथ्यों के मुताबिक टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर नाम के लोगों के साथ मिलकर पैसे कमाए गए।
डिस्ट्रिक मिनरल फंड (DMF) घोटाला मामले में कलेक्टर को 40%, सीईओ 5%, एसडीओ 3% और सब इंजीनियर को 2% कमीशन मिला। DMF के वर्क प्रोजेक्ट में करप्शन के लिए फंड खर्च के नियमों को बदला गया था।
फंड खर्च के नए प्रावधानों में मटेरियल सप्लाई, ट्रेनिंग, कृषि उपकरण, खेल सामग्री और मेडिकल उपकरणों की कैटेगरी को जोड़ा गया था, ताकि संशोधित नियमों के सहारे DMF के तहत जरूरी डेवलपमेंट वर्क को दरकिनार कर अधिकतम कमीशन वाले प्रोजेक्ट को अप्रूव किया जा सके।