केंद्र सरकार ने एक बड़ा ऐलान किया है. अब खाने के तेल (Crude Edible Oil) में बड़ी गिरावट आने की संभावना है, क्योंकि बढ़ती महंगाई (Inflation) के बीच सरकार ने कच्चे खाने के तेल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी (Basic Custom Duty) को घटा दिया है. जिसका सीधा असर खाने वाले तेल की कीमतों पर दिखेगा.
केंद्र सरकार ने बुधवार को कच्चे सूरजमुखी, सोयाबीन और पाम तेल जैसे कच्चे खाद्य तेलों पर बेसिक सीमा शुल्क (BCD) को 20% से घटाकर 10% कर दिया, जिस कारण कच्चे खाद्य तेलों के बीच आयात शुल्क का अंतर 8.75% से बढ़कर 19.25% हो गया. सरकार ने एक बयान में कहा कि खाद्य तेल यूनियन और उद्योग के हितधारकों को यह सुनिश्चित करने के लिए एक सलाह जारी की गई है कि कम शुल्क का पूरा लाभ कंज्यूमर्स को दिया जाए. जिसका सीधा मतलब है कि खाद्य तेलों के शुल्क में कटौती का असर इनकी कीमतों पर दिखेगा और 10 फीसदी तक कीमतें कम हो सकती है.
सीधा आम जनता को होगा लाभ
सरकार के इस फैसले से इस कटौती का सीधा लाभ ग्राहकों को होगा. गौरतलब है कि खाने के तेलों पर सीमा शुल्क उन खास फैक्टर्स में से एक है, जिनसे खाद्य तेलों की कीमतें प्रभावित होती हैं. अब कच्चे तेलों पर आयात शुल्क कम करके, सरकार का लक्ष्य खाद्य तेलों की पहुंच लागत और खुदरा कीमतों को कम करना है. इससे आम जनता को राहत मिलेगी. साथ ही महंगाई में भी कमी आएगी.
घरेलू रिफाइनिंग सेक्टर्स होगा मजबूत
कम किए गए शुल्क से घरेलू रिफाइनिंग को भी बढ़ावा मिलेगा और किसानों के लिए उचित मुआवजा बनाए रखा जा सकेगा. केंद्र सरकार ने आगे कहा कि संशोधित शुल्क संरचना पाम ऑयल के आयात को हतोत्साहित करेगी और कच्चे खाद्य तेलों, खासकर पाम ऑयल की ओर मांग को बढ़ेगी, जिससे घरेलू रिफाइनिंग सेक्टर्स को मजबूती मिलेगी.
यह महत्वपूर्ण नीति बदलाव न घरेलू रिफाइनरों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करता है, बल्कि भारतीय उपभोक्ताओं के लिए खाद्य तेल की कीमतों को स्थिर करने में भी योगदान देता है.
क्या होता है खाद्य तेल?
यह एक प्रकार का वनस्पति या पशु वसा है, जिसका उपयोग खाना पकाने, विशेष रूप से तलने, भूनने, और अन्य प्रकार के पाक क्रिया में किया जाता है. इसे फूड ऑयल भी कहते हैं. इस तेल को आप हाई टेम्परेचर पर पका सकते हैं. खाद्य तेल में सरसों का भी तेल शामिल होता है.