सुपौल में शिक्षा विभाग बदहाल: एक लाख बच्चों के बस्ते किताब से खाली…

सुपौल: चालू शैक्षणिक सत्र को आरंभ हुए करीब डेढ़ माह बीतने को है परंतु प्रारंभिक विद्यालयों में नामांकित करीब 30 फीसद बच्चों के बस्ते अब भी किताब से खाली है. उसमें भी तब जब सरकार और विभाग ने सत्र के पहले ही दिन बच्चों को किताब उपलब्ध कराने का दावा किया था. ऐसे में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की बात जिले में हवा-हवाई साबित हो रही है.

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स्थिति है कि बच्चे विद्यालय तो आते हैं लेकिन उनके बस्ते पाठ्य-पुस्तक से खाली रहने के कारण वे पढ़ाई में रुचि नहीं लेते हैं. एक तो विभागीय आदेश के बाद अप्रैल में बच्चों को रिविजन कोर्स कराया गया. इससे मई से नई कक्षाओं की पढ़ाई शुरू करायी गयी है. अब जब मई माह का भी पहला पखवाड़ा बीतने को है बावजूद शत-प्रतिशत बच्चों के पास किताबें उपलब्ध नहीं हो पाई. किताबें नहीं होने से स्कूल प्रशासन के साथ बच्चों को भी काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. कई शिक्षकों ने बताया कि विद्यालय के बच्चों की संख्या बढ़ी है.

नियमित रूप से बच्चे भी पढ़ाई करने विद्यालय आ रहे है. ऐसे में पुस्तकों की कमी की वजह से अभिभावकों की खरी-खोटी सुननी पड़ रही है. विभागीय रिपोर्ट के अनुसार पहली से आठवीं कक्षाओं तक इस साल वार्षिक परीक्षा में 4 लाख 1 हजार 646 परीक्षार्थी शामिल हुए थे. जिला शिक्षा विभाग ने बच्चों के नामांकन के अनुपात में पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराने की शिक्षा विभाग से मांग की थी लेकिन जिले में महज 70 फीसद पुस्तकें ही भेजी जा सकती है. डिमांड के अनुकूल अब तक 2 लाख 81 हजार 887 सेट किताब जिले को उपलब्ध कराई गई है. इस हिसाब से देखें तो 1 लाख 18 हजार 759 बच्चे आज भी किताब को ले विभाग की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं. जबकि चालू सत्र में नये बच्चों का भी नामांकन हुआ है. विभाग की मानें तो इस हिसाब से किये गये डिमांड से अधिक किताबों की जरूरत है.

सवाल उठता है कि जब बच्चों के पास किताब ही नहीं है तो वे पढ़ाई कैसे करेंगे. किताब नहीं रहने के कारण छूटे सिलेबस की भरपाई बच्चे कैसे कर पाएंगे. अब जबकि विद्यालयों में अगले सप्ताह से गृष्मावकाश होगा. इसमें लंबे समय तक विद्यालय बंद रहेंगे. ऐसे में बच्चों के पास किताब नहीं रहने से आखिर वे कैसे पढ़ पाएंगे. कुल मिलाकर विभाग की कुव्यवस्था व लापरवाही इन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. पूछने पर प्राथमिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया कि डिमांड के अनुकूल किताब की आपूर्ति नहीं हो पायी है. फिर से डिमांड भेजी जा रही है. आपूर्ति सुनिश्चित होते ही बच्चों को किताब उपलब्ध करा दी जाएंगी.

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