डीडवाना-कुचामन: शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली और सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का एक चौंकाने वाला मामला डीडवाना – कुचामन जिले के लाडनू उपखंड क्षेत्र के गांव सुनारी से सामने आया है। यहां की राजकीय प्राथमिक विद्यालय कचोलिया नाड़ी में पिछले तीन वर्षों से एक भी छात्र नामांकित नहीं है, बावजूद इसके यहां दो शिक्षक नियमित रूप से तैनात हैं और उन्हें वेतन भी दिया जा रहा है.
वर्षों से चल रही “बिना बच्चों की पढ़ाई”
गांव के इस विद्यालय में पहले भी कभी दो-तीन छात्रों का नामांकन रहता था, लेकिन पिछले तीन वर्षों से नामांकन पूरी तरह शून्य है. इसके बावजूद विद्यालय में दो शिक्षक कैलाशचंद थोरी और अनीता मीणा लगातार पदस्थ हैं. कैलाशचंद थोरी बीएलओ कार्यों में लगे हुए हैं जबकि अनीता मीणा विद्यालय भवन की देखरेख में समय गुजार रही हैं.
तीन वर्षों में 54 लाख रुपये से अधिक खर्च
विद्यालय में छात्र न होने के बावजूद दोनों शिक्षकों को वेतन दिया जा रहा है. सरकारी खजाने से हर माह इन पर लगभग 1.5 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं, जिससे अब तक 54 लाख से अधिक की राशि खर्च की जा चुकी है. सवाल यह है कि जब विद्यालय में कोई छात्र नहीं है, तो यह खर्च क्यों?
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने जताई नाराजगी
ग्राम पंचायत सुनारी की सरपंच धनीदेवी कालेरा ने बताया कि इस विषय को लेकर कई बार शिक्षा विभाग को पत्र और मौखिक शिकायतें दी गई हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ. भाजपा नेता नाथूराम कालेरा ने इस पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि जब प्रदेशभर में शिक्षक कमी से जूझ रहे हैं, तब ऐसे विद्यालयों में शिक्षकों को बैठाकर वेतन देना न सिर्फ संसाधनों की बर्बादी है बल्कि यह विभागीय लापरवाही का उदाहरण भी है.
पीईओ और सीबीईओ ने जिम्मेदारी से झाड़ा पल्ला
पीईओ इंद्रचंद जांगिड़ ने कहा कि प्रतिनियुक्ति का अधिकार उनके स्तर पर नहीं है. उन्होंने विद्यालय की स्थिति की जानकारी हर वर्ष विभाग को दी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. सीबीईओ प्रहलाद राय ने बताया कि उन्होंने हाल ही में पदभार ग्रहण किया है और ग्रामीणों की शिकायत के आधार पर इस विद्यालय का मामला संज्ञान में लिया गया है. उन्होंने आश्वासन दिया कि उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति अन्य विद्यालयों में की जाएगी.
पहले उठी थी आवाज, फिर भी शिक्षक लौटाए गए
गत सत्र में भी मीडिया ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद एक शिक्षक को निंबीजोधा के स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल में अस्थाई रूप से भेजा गया, लेकिन मात्र 15 दिन बाद उन्हें पुनः उसी विद्यालय में बुला लिया गया. यह दर्शाता है कि शिक्षा विभाग कितनी गंभीरता से इस समस्या को ले रहा है.
अब डीईओ और कलेक्टर ने दिए कार्रवाई के संकेत
डीडवाना के जिला शिक्षा अधिकारी अजीतसिंह दैथा ने कहा कि यदि ऐसा मामला सामने आया है तो यह खेदजनक है. उन्होंने बताया कि सीबीईओ से रिपोर्ट लेकर जल्द उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी और इस पर कार्रवाई की जाएगी. वहीं जिला कलेक्टर महेन्द्र खड़गावत ने कहा कि वे मामले की जांच कराई जाएगी और यदि लापरवाही पाई गई तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई तय है.