चिली का नाम कुछ दिनों पहले भूकंप की वजह से चर्चा में आया था. शांत और अमीर दक्षिण अमेरिकी देश में अस्थिरता बहुत कम ही दिखी. हालांकि इन दिनों वहां एक नया धर्म तैयार हो रहा है. टेंपल ऑफ सैटन- सैटानिस्ट एंड लूसिफेरियन्स ऑफ चिली नाम से धार्मिक समूह वैसे नाम से अलग शैतान की पूजा नहीं करता, लेकिन तब भी ये ईसाई धर्म से अलग है, और खुद को अलग ही रखना चाहता है. कुछ सालों पहले अमेरिका में भी सैटानिक टेंपल पर विवाद हो चुका.
लगभग 2 करोड़ जनसंख्या वाले देश चिली में 70 फीसदी के साथ कैथोलिक ईसाई सबसे ज्यादा हैं. इसके बाद लगभग 20 फीसदी के साथ प्रोटेस्टेंट हैं. इनके अलावा भी ईसाई धर्म की कुछ और शाखाएं यहां हैं. चिली में यहूदियों की भी एक बहुत छोटी आबादी रहती है. वेस्ट के बाकी देशों से अलग यहां इस्लाम उस तेजी से नहीं बढ़ रहा. यहां मुस्लिम धर्म के लगभग 2 प्रतिशत ही लोग होंगे. ये तो हुई धर्मों की बात, लेकिन चिली में बड़ी संख्या में नास्तिक लोग भी हैं, जो धीरे-धीरे एक अलग रूप ले रहे हैं. वे सैटनिक रिलीजन की तरफ मुड़ने लगे हैं.
देश की राजधानी सैंटियागो में टेंपल ऑफ सैटन बन चुका. अब इसे मानने वाले सरकार से धार्मिक संस्था के तौर पर मान्यता चाह रहे हैं. वो देश, जहां लगभग सारी आबादी कैथोलिक है, वहां ये मांग बड़ी बात है. वैसे दिलचस्प ये है कि अपने नाम के उलट टैंपल ऑफ सैटन, अनुयायियों से शैतान की पूजा करने को नहीं कहता, भले ही वे अपने आपको सैटनिस्ट कहें. बल्कि ये कंजर्वेटिव सोच को तोड़ने का एक तरीका है. इसमें किताबों के प्रकाशक, पुलिस अधिकारी, वकील और डॉक्टर जैसे लोग शामिल हैं, जो धार्मिकता को चुनौती देने के लिए अलग धर्म बना रहे हैं.
नास्तिक आबादी भले ही धार्मिक लोगों को चैंलेज करने के लिए अलग मजहब बना रही है, लेकिन बाकी धर्मों से अलग इस समुदाय का हिस्सा बनना आसान नहीं. टेंपल ऑफ सैटन का सदस्य बनने के लिए आवेदकों को लंबी प्रोसेस से गुजरना होता है. इसके तहत फॉर्म भरने से लेकर इंटरव्यू भी होता है. अनुयायी के तौर पर मान्यता पाने के लिए लोगों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए. इस सबके बाद उसका साइकोलॉजिकल टेस्ट होगा, और सब ठीक पाए जाने पर ही वो धार्मिक गुट का हिस्सा बन सकेगा.
सदस्यता पाने के बाद मेंबर अपने लिए एक नया नाम भी चुन सकता है, हालांकि ये अनौपचारिक ही होगा और केवल धार्मिक ग्रुप के बीच ही इस्तेमाल होगा. फर्स्ट पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, टेंपल ऑफ सैटन की नींव साल 2021 में डली थी लेकिन इतनी शर्तों के बीच बहुत से लोग इसकी सदस्यता नहीं पा सके. अब प्रभावशाली ओहदों पर बैठे इसके अनुयायियों ने मिनिस्ट्री ऑफ जस्टिस से धार्मिक संस्था के तौर पर मान्यता चाही है, जिसके बाद से कंजर्वेटिव देश में विवाद हो रहा है.
असल में चिली में फिलहाल धार्मिक संकट आया हुआ है. बीते कई सालों से कथित तौर पर कैथोलिक चर्चों में यौन शोषण, यहां तक कि बच्चों का भी शोषण हुआ. इसकी खबरें आने के बाद भी पीड़ितों को दबाने की कोशिश हुई. तब से ही देश में नाराजगी बढ़ने लगी. लोग चर्च अधिकारियों पर भड़के हुए हैं. हालांकि यह संभव नहीं कि चिली की सरकार टेंपल ऑफ सैटन को वैध धार्मिक संस्था के तौर पर मान्यता दे दे. पहले भी कई बार वहां ऐसी चर्चाएं हो चुकीं लेकिन कैथोलिक देश में हर बार इसपर सख्ती से रोक लगाई गई.
चिली में नए धर्म को धार्मिक संस्था के तौर पर मान्यता पाने के लिए सरकार से आवेदन करना होता है. वैसे तो वहां का संविधान धार्मिक आजादी की गारंटी देता है, लेकिन इसके बावजूद किसी नई धार्मिक संस्था को सरकारी मंजूरी जरूरी है. इसके तहत, धार्मिक संस्था को एक फॉर्मल आवेदन दाखिल करना होता है, जिसमें अपने बनाए जाने का मकसद और गतिविधियां बतानी होंगी. साथ ही ये साफ करना होगा कि उसकी वजह से बाकी धर्मों या व्यवस्था पर कोई खतरा न हो.
लगभग एक दशक पहले अमेरिका में भी टेंपल ऑफ सैटन बन चुका था. यह धार्मिक समूह वैसे तो शैतान के प्रतीक का इस्तेमाल करता था लेकिन शैतान की पूजा या उसकी तरह कामों को बढ़ावा देना इसका उद्देश्य नहीं था. बल्कि इसे तर्क और विद्रोह की तरह देखा गया था, जो बाकी धार्मिक अंधविश्वासों को चैलेंज करता था.
इसपर बड़ा विवाद तब हुआ जब इसके मानने वालों ने सार्वजनिक जगहों पर शैतान के प्रतीक लगाने की कोशिश की. इजाजत न मिलने पर वे दूसरे धार्मिक प्रतीकों को भी हटाने की मांग करने लगे. तब उन्हें काफी दबाया गया लेकिन टेंपल ऑफ सैटन अब अमेरिका के साथ-साथ दुनिया के दूसरे देशों तक फैल रहा है. चिली उसी का एक हिस्सा है.