भारत में 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया गया है. यह आह्वान सुप्रीम कोर्ट की ओर से SC और ST श्रेणी में सब-कैटेगरी को लेकर सुनाए गए फैसले के विरोध में किया गया है. लेकिन भारत बंद छत्तीसगढ़ में बेअसर हो सकता है.
प्रदेश के बड़े व्यापारिक संगठन छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने इसे अपना समर्थन नहीं दिया है. व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद करने से इंकार कर दिया है। ऐसे में मार्केट खुला ही रहेगा. दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ बहुजन समाज पार्टी इस बंद का समर्थन कर रही है. हर जिला अध्यक्ष को मार्केट बंद करवाने की जिम्मेदारी संगठन ने दी है.
चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अमर पारवानी, महामंत्री अजय भसीन, कोषाध्यक्ष उत्तम गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र जग्गी, विक्रम सिंहदेव, राम मंधान, मनमोहन अग्रवाल से छत्तीसगढ़िया सर्व समाज महासंघ, सर्व समाज के पदाधिकारियों ने संपर्क किया. रायपुर के चैंबर भवन में पदाधिकारियों ने बैठक की.
बंद का समर्थन कर रहे संगठनों से आए पदाधिकारियों ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के जारी आरक्षण वर्गीकरण के आदेश के विरोध में ‘भारत बंद’ के लिए समर्थन मांगने पहुंचे हैं. चैंबर प्रदेश अयक्ष अमर पारवानी ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर इस भारत बंद को लेकर जानकारी हमें नहीं मिली है. बिना पूर्व सूचना के अचानक बंद को समर्थन देने से चैंबर ने इनकार कर दिया.
चैंबर की ओर से कहा गया कि प्रदेश के छोटे-छोटे व्यापारी, रेहड़ी पटरी और व्यापारिक संगठन जुड़े हुए हैं, जो फल-सब्जी, दूध और अन्य कच्चे सामान का व्यवसाय करते हैं. बिना पूर्व सूचना के आकस्मिक बंद से उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. चैंबर की परंपरा के अनुसार अल्प समय में बिना पूर्व सूचना या व्यापारिक संघों की बैठक के बिना ‘भारत बंद’ का समर्थन करने में असमर्थ हैं.
बैठक में सर्व समाज से सतजन सिंह BPF अध्यक्ष, श्याम जी प्रदेश अध्यक्ष बसपा, लता गेड़ाम प्रदेश सचिव बसपा, आर.पी.भतपहरी वरिष्ठ उपाध्यक्ष सर्व समाज, बी.एस.रावटे कार्यकारी अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज, एम.पी.अहिरवार, ओ.पी.बाजपेयी, अधिवक्ता संजय गजभिये पहुंचे थे. चैंबर सलाहकार जितेन्द्र दोशी, परमानंद जैन, प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी, कोषाध्यक्ष उत्तमचंद गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र जग्गी, विक्रम सिंहदेव से इनकी चर्चा हुई.
क्यों हो रही भारत बंद की बात ?
अनुसूचित जाति और जनजाति आरक्षण में सब कैटेगरी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश भर के विभिन्न संगठनों ने 21 अगस्त को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है. बसपा समेत कई पार्टियां इस बंद का समर्थन कर रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था, ‘सभी SC और ST जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं. कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं. उदाहरण के लिए- सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले. ये दोनों जातियां SC में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं. इन लोगों के उत्थान के लिए राज्य सरकारें SC-ST आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है. ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है.’
क्या हैं दो शर्त
- SC के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दे सकती.
- SC में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए.
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुनाया था, जिनमें कहा गया था कि SC और ST के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है. इससे कई जातियां पीछे रह गई हैं. उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में कोटा होना चाहिए. इस दलील के आड़े 2004 का फैसला आ रहा था, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों का वर्गीकरण कर सकते हैं.
कौन-कौन पार्टियां भारत बंद का समर्थन कर रहीं ?
देशभर के दलित संगठनों ने 21 अगस्त को भारत बंद का ऐलान किया है. इनको बहुजन समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मायावती, भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद भारत आदिवासी पार्टी मोहन लात रोत का भी समर्थन मिल रहा है. छत्तीसगढ़ में बसपा के पूर्व अध्यक्ष और बस्तर के इंजार्ज हेमंत पोयाम ने बताया कि हमनें सभी जिला अध्यक्ष को जिम्मेदारी दी है. हम इस बंद का समर्थन कर रहे हैं. सभी अपने स्तर पर बाजार बंद करवाने का काम करेंगे.