फिल्म सैयारा ने भोपाल समेत मध्यप्रदेश में एक नई चिंता खड़ी कर दी है। फिल्म देखने के बाद कई युवा अस्पताल पहुंचकर खुद को अल्जाइमर का मरीज मान रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि फिल्म में बीमारी को गलत तरीके से दिखाया गया, जिससे लोग भ्रमित हो रहे हैं।
फिल्म में दिखाया गया है कि वाणी नाम की युवती बार-बार अपने बॉयफ्रेंड का नाम भूल जाती है, घर-परिवार तक को याद नहीं रख पाती। इसे अर्ली-ऑनसेट अल्जाइमर बताया गया। लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है, अचानक नहीं।
गांधी मेडिकल कॉलेज के डॉ. जेपी अग्रवाल का कहना है कि फिल्म आने के बाद कई युवा ओपीडी में आने लगे हैं। 23 वर्षीय खुशी चौहान और 27 वर्षीय नयन शुक्ला जैसे केस सामने आए, जिन्हें लगा कि उन्हें अल्जाइमर हो गया है। दोनों ने बताया कि मूवी देखने के बाद उन्हें अपने भूलने की आदतें बीमारी जैसी लगने लगीं।
असल में अल्जाइमर बुजुर्गों की बीमारी है। यह डिमेंशिया का एक प्रकार है और दिमाग में खास प्रोटीन जमा होने से याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होती है। मध्यप्रदेश में 60 साल से अधिक उम्र के 6.7% बुजुर्ग इससे पीड़ित हैं। अकेले भोपाल में करीब 17 हजार मरीज हैं।
रिपोर्ट बताती है कि यह रोग महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है। ग्रामीण इलाकों में इसके मामले शहरों की तुलना में डेढ़ गुना अधिक हैं। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि 60 साल से अधिक उम्र वालों को मिनी-मेंटल स्टेट एग्जामिनेशन (एमएमएसई) टेस्ट जरूर कराना चाहिए। 20 से कम अंक आने पर डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
डॉक्टरों का कहना है कि फिल्मों के असर में आकर खुद को बीमार मान लेना खतरनाक है। सही जांच और समय पर इलाज से बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।