गुना जिले में दिव्यांगजनों ने रविवार को अपनी मांगों को लेकर अनोखा प्रदर्शन किया। वे सुबह कलेक्टर बंगले के बाहर पहुंचकर वहीं बैठ गए और कहा, या तो कलेक्टर हमें खाना खिलाएं, या हम उन्हें बंगले में खाना बनाकर खिलाएंगे।
करीब डेढ़ घंटे तक दिव्यांग कलेक्टर निवास के बाहर डटे रहे। सूचना मिलने पर एसडीएम शिवानी पांडे, तहसीलदार गौरीशंकर बैरवा, कैंट थाना प्रभारी टीआई अनूप भार्गव समेत प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा। समझाइश के बाद सभी दिव्यांगों को कलेक्ट्रेट स्थित जनसुनवाई कक्ष में ले जाया गया।
यहां होटल से मंगवाकर सभी को खाना परोसा गया। इसी दौरान कलेक्टर भी वहां पहुंचे और सभी दिव्यांगजनों की समस्याएं सुनीं। कलेक्टर ने आश्वासन दिया कि जो भी मांगे जिले स्तर पर संभव हैं, उन्हें जल्द पूरा किया जाएगा।
सात दिवसीय आंदोलन की घोषणा दरअसल, दिव्यांगजनों ने इसे ‘दिव्यांग स्वाभिमान प्रदर्शन’ नाम दिया है। दो दिन पहले ही उन्होंने अपनी मांगों को लेकर विधायकों, राजनैतिक दलों के जिलाध्यक्षों और प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा था।
इसके बाद आंदोलन की सात दिवसीय रूपरेखा बनाई गई। पहले दिन कलेक्टर के साथ खाना खाने की योजना थी। बाकी छह दिन वे जिले के विभिन्न जनप्रतिनिधियों और दलों के पदाधिकारियों के घर जाकर खाना खाएंगे और अपनी समस्याएं रखेंगे।
ये हैं मांगे…
- बस संचालकों द्वारा पूरा किराया वसूल किया जाता है, जबकि दिव्यांगों को 50% छूट है। इसलिए सभी बस वालों को यह निर्देश दिए जाएं कि दिव्यांगों से आधा किराया ही लिया जाए।
- दिव्यांग पेंशन को 600 से बढ़ाकर 1500 किया जाए।
- दिव्यांगों के सभी दस्तावेज तय समय में बनाए जाएं।