Uttar Pradesh: “क्या एक 76 साल की बुजुर्ग महिला को अपनी ही जमीन जोतने के लिए आत्मदाह की चेतावनी देनी पड़ेगी? क्या अफसरशाही की दीवारें इतनी ऊंची हो चुकी हैं कि इंसाफ की आवाज़ उस तक पहुंच ही नहीं पा रही? ये कहानी है प्रेमवती देवी की, जो हाथरस के सिकंदराराऊ तहसील क्षेत्र के नगला गोविंद उर्फ नौजरपुर गांव की रहने वाली हैं.”
“प्रेमवती देवी पिछले 5 सालों से लगातार शिकायतें कर रही हैं. उनकी 13.5 बीघा जमीन पर दबंग किस्म के लोग अड़ंगा लगाए हुए हैं और उन्हें जोतने नहीं दे रहे. शिकायत एसडीएम, कानूनगो, तहसीलदार, पुलिस — सभी के पास गईं, लेकिन हर जगह उन्हें सिर्फ तारीखें और आश्वासन ही मिले.”
“बुजुर्ग का कहना है हम पांच साल से तहसील के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं. अब या तो खेत मिल जाए या फिर हम खुद की जान दे देंगे जिलाधिकारी कार्यालय के सामने.”
“अब थक-हार कर प्रेमवती देवी ने 9 जुलाई को जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरने पर बैठने और आत्मदाह करने की चेतावनी दी है। उन्होंने बाकायदा लिखित पत्र भी सौंपा है। सवाल ये है कि जब एक बुजुर्ग महिला अपने हक़ के लिए आत्मदाह पर मजबूर हो — तो यह प्रशासनिक संवेदनहीनता नहीं तो और क्या है?”
“क्या तहसील प्रशासन अब भी सोता रहेगा?”
“प्रेमवती को न्याय कब मिलेगा?”
“76 साल की उम्र में क्या इंसाफ की उम्मीद करना गुनाह है?”
“अब देखना होगा कि 9 जुलाई को जिलाधिकारी कार्यालय के सामने प्रेमवती देवी की आवाज़ इंसाफ बनकर गूंजेगी या एक और सरकारी फाइल बनकर दबा दी जाएगी। प्रशासन को चाहिए कि वह समय रहते कार्रवाई करे, ताकि न कोई आत्मदाह की सोच सके और न इंसाफ से भरोसा उठे.”
हाथरस में तहसील स्तरीय अधिकारियों से परेशान बुजुर्ग महिला: 9 जुलाई को जिलाधिकारी कार्यालय पर आत्मदाह की दी धमकी

Advertisement
Advertisements