बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने मतदाता सूची (Voter List) को शुद्ध करने के लिए विशेष गहन संशोधन (SIR) की प्रक्रिया शुरू की है। इस प्रक्रिया में आयोग ने लगभग 3 लाख मतदाताओं को नोटिस भेजा है, जिनके दस्तावेजों में विसंगतियां पाई गई हैं। इनमें सबसे अधिक मामले सीमावर्ती जिला किशनगंज से सामने आए हैं।
चुनाव आयोग का कहना है कि इन लोगों को संतोषजनक जवाब नहीं देने पर उनके नाम मतदाता सूची से काट दिए जाएंगे। ज्यादातर प्रभावित लोग बांग्लादेश और नेपाल से बिहार में आकर बसे हैं। आयोग ने उनका निवास प्रमाण और अन्य दस्तावेजों की मांग की है, लेकिन कई लोग इन दस्तावेजों को जमा करने में सक्षम नहीं हैं।
स्थानीय प्रशासन के अनुसार, इन इलाकों में दशकों से बेटी-रोटी संबंध के चलते भारत और नेपाल की लड़कियों की शादी भारत में और भारत की लड़कियों की शादी नेपाल में होती रही है। इस वजह से कई परिवारों के पास आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। कई लोगों ने कहा कि उनके माता-पिता नेपाल या बांग्लादेश से आए थे, लेकिन वे स्वयं भारत में पैदा हुए हैं। उन्होंने वोटर आईडी और आधार कार्ड तो दिए थे, लेकिन निवास प्रमाण नहीं जमा कर सके।
इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव बिहार में SIR के विरोध में वोटर अधिकार यात्रा निकाल रहे हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि यह प्रक्रिया मतदाताओं का अधिकार छीनने का प्रयास है। उनका आरोप है कि इस तरह के कदम से न सिर्फ वोट का अधिकार प्रभावित होगा, बल्कि भविष्य में जाति प्रमाण पत्र और राशन कार्ड जैसी सेवाओं पर भी असर पड़ सकता है।
इस बीच, प्रभावित लोगों ने नागरिकता देने और वोटर सूची में बने रहने की मांग की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वे बिहार में जन्मे और पले-बढ़े हैं, लेकिन दस्तावेजों की कमी के कारण उनके वोटर अधिकार खतरे में हैं। प्रशासन और चुनाव आयोग ने सभी प्रभावित लोगों को नोटिस भेजकर जवाब देने का अवसर दिया है।