चुनाव आयोग ने हाल ही में उठे आरटीआई विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मतदान केंद्रों में लगे सीसीटीवी फुटेज को लेकर सूचना तभी दी जाएगी जब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपना अंतिम फैसला सुना देगा। आयोग ने साफ कर दिया है कि वर्तमान परिस्थितियों में किसी भी प्रकार की जानकारी देना संभव नहीं है।
दरअसल, आरटीआई एक्ट के तहत कुछ आवेदकों ने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर मतदान केंद्रों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की मांग की थी। उनका तर्क था कि इस फुटेज से मतदान की निष्पक्षता और पारदर्शिता की पुष्टि हो सकती है। लेकिन आयोग का कहना है कि यह मामला अदालत में विचाराधीन है, इसलिए फैसला आने से पहले किसी भी तरह का डेटा सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि जब तक अदालत से कोई स्पष्ट निर्देश नहीं आ जाता, तब तक वह कानूनी प्रक्रिया का पालन करेगा। अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि सीसीटीवी फुटेज अत्यंत संवेदनशील जानकारी है और इसका गलत इस्तेमाल लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
इस पूरे मामले ने राजनीतिक हलकों में भी बहस छेड़ दी है। विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग पारदर्शिता से बच रहा है और जनता को सच्चाई से दूर रखा जा रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने आयोग से सीधे-सीधे सवाल पूछे हैं। वहीं, सत्ता पक्ष का कहना है कि चुनाव आयोग कानून के दायरे में रहकर सही कदम उठा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और गोपनीयता के बीच संतुलन का है। अगर सुप्रीम कोर्ट आयोग को फुटेज साझा करने का आदेश देता है, तो यह चुनावी व्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकता है। फिलहाल, सभी की निगाहें अदालत के फैसले पर टिकी हुई हैं, जिसके बाद यह साफ होगा कि मतदाता और आम नागरिक कितनी हद तक इस तरह की संवेदनशील सूचनाओं तक पहुंच सकेंगे।