SIR मुद्दे पर चुनाव आयोग का जवाब – क्या फर्जी वोटिंग के लिए संविधान से समझौता करें?

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR (Special Summary Revision) को लेकर उठे विवाद पर चुनाव आयोग ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। विपक्ष की ओर से लगाए गए आरोपों पर जवाब देते हुए आयोग ने लोकतंत्र और संविधान की दुहाई दी है।

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फर्जी या विदेशी मतदाताओं को वोट डालने दें?
चुनाव आयोग ने कहा कि क्या लोकतंत्र के नाम पर उन्हें ऐसे मतदाताओं को वोट डालने देना चाहिए जो मृतक हैं, जो दो स्थानों पर पंजीकृत हैं, या जो देश में स्थायी रूप से नहीं रह रहे? आयोग ने यह भी पूछा कि क्या ऐसी स्थिति में पारदर्शिता को दरकिनार कर देना चाहिए?

पारदर्शी वोटर लिस्ट ही मजबूत लोकतंत्र की नींव
चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट किया कि उनकी तरफ से तैयार की जा रही प्रामाणिक मतदाता सूची निष्पक्ष चुनाव की आधारशिला है। उन्होंने यह भी कहा कि हर भारतीय नागरिक को राजनीति से ऊपर उठकर इस मुद्दे पर गंभीरता से सोचना चाहिए।

तेजस्वी यादव और विपक्ष के आरोपों पर प्रतिक्रिया
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया था कि आयोग ने ऐसे दस्तावेज मांगे हैं जो आम नागरिकों के पास नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि लाखों वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं, जो लोकतंत्र के खिलाफ है।

चुनाव आयोग बना बीजेपी का एजेंट – विपक्ष का आरोप
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि चुनाव आयोग बीजेपी का एजेंट बन गया है। उन्होंने कहा कि INDIA गठबंधन इस मुद्दे पर संसद में चर्चा चाहता है लेकिन सरकार कोई जवाब नहीं दे रही। टैगोर ने बताया कि वे संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

सरकार मुद्दों से ध्यान भटका रही है – विपक्ष
तेजस्वी यादव और अन्य विपक्षी नेताओं का कहना है कि उपराष्ट्रपति पद पर रामनाथ ठाकुर की संभावित नियुक्ति और अन्य घोषणाएं असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की रणनीति हैं। विपक्ष का दावा है कि SIR जैसे संवेदनशील विषयों से जनता का ध्यान हटाने के लिए यह सब किया जा रहा है।

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