महाराष्ट्र चुनाव में कुछ ही दिन बचे हैं. इस बीच यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे को लेकर राज्य का सियासी पारा हाई है. जहां एक तरफ विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है तो वहीं दूसरी ओर महायुति के नेता भी इस नारे से दूरी बना रहे हैं. दरअसल, राज्य के डिप्टी सीएम अजित पवार, बीजेपी नेता पंकजा मुंडे के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री और कुछ ही समय पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए अशोक चव्हाण ने भी इस नारे को अप्रांसगिक बताया है.
बीजेपी के राज्यसभा सांसद अशोक चव्हाण ने कहा कि ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा पूरी तरह अप्रासंगिक है और महाराष्ट्र की जनता इसे पसंद नहीं करेगी. इस नारे की कई प्रासंगिकता नहीं है. नारे चुनाव के समय हुए जाते हैं. यह विशेष नारा अच्छा नहीं है और मुझे नहीं लगता लोग इसे पसंद करेंगे. निजी तौर पर मैं ऐसे नारे के खिलाफ हूं क्योंकि यह समाज के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है. हमें देखना होगा कि इससे किसी की भावनाएं आहत नहीं होनी चाहिए.
इससे पहले बीजेपी की एमएलसी पंकजा मुंडे ने भी नारे को लेकर कहा था कि महाराष्ट्र को ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसे नारे की जरूरत नहीं है. हम इसका केवल इसलिए समर्थन नहीं कर सकते, क्योंकि हम भी उसी पार्टी से हैं. मेरा मानना है कि विकास ही असली मुद्दा है. नेता का काम है कि इस धरती पर रहने वाले हर व्यक्ति को अपना समझे. हमें महाराष्ट्र में इस तरह के विषय नहीं लाने चाहिए. योगी आदित्यनाथ ने ये यूपी के संदर्भ में कहा था जहां अलग तरह की राजनीतिक परिस्थितियां हैं. उनकी बात का वही अर्थ नहीं जो समझा जा रहा है.
अजित पवार ने भी नारे का किया था विरोध
बता दें कि अजित पवार ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का जिक्र करते हुए कहा था कि इस तरह की बातें यहां नहीं चलेंगी. ये यूपी में चलता होगा, महाराष्ट्र में इस तरह की बातें बिल्कुल नहीं चलेंगी. महाराष्ट्र साधु-संतों का, शिवप्रेमियों का, शिवाजी और अंबेडकर का है. उनकी सिखाई बातें हमारे खून में हैं और हम उसी रास्ते पर चलेंगे. मुसलमानों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचने देंगे.