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वाम दलों का किला ढहाने मोदी का धुआंधार दक्षिण दौरा, 400 पार क्या दक्षिण से हैं आस?

लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद तीन दिन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार दक्षिण भारत में दौरे कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और केरल में रोड शो और जनसभाएं कर रहे हैं। 19 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के पलक्कड़ में एक रोड शो किया। प्रधानमंत्री की चुनावी तैयारियों और लक्ष्यों में दक्षिण को मिल रहे इस महत्त्व का उद्देश्य दक्षिण भारत में भाजपा की सीटों की संख्या को 29 से बढ़ाकर 70 के करीब ले जाना है, जिससे भाजपा 400 पार के अपने लक्ष्य को पूरा कर सके।

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दक्षिण भारत में भाजपा को कर्नाटक-तेलंगाना में तो सफलता मिल चुकी है, तो वही आंध्रप्रदेश रूपी समुद्र में टीडीपी और जनसेना नाव के सहारे इस बार आंध्र प्रदेश में भी तीन से चार सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है। केरल और तमिलनाडु में अभी भी उसका खाता नहीं खुल पाया है और यह क्षेत्र भाजपा के लिए अबूझ पहेली साबित हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा के लिए दक्षिण का यही बंद दरवाजा खोलना चाहते हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत में भाजपा की प्रदर्शन की बात करे तो भाजपा को कर्नाटक में 25 सीटों और तेलंगाना में चार सीटों पर सफलता मिली थी। इसके अलावा कर्नाटक में उसके समर्थन से एक निर्दलीय उम्मीदवार ने और तमिलनाडु में उसकी सहयोगी एआईएडीएमके को एक सीट पर सफलता मिली थी। यानी सहयोगी दलों को साथ लेकर भी वह केवल 31 सीटों तक पहुंच पाई थी।

भाजपा ने इस बार के लोकसभा चुनाव में हर राज्य में ज्यादा से ज्यादा नए-पुराने साथियों को अपने साथ लाने की कोशिश की है। कर्नाटक में जेडीएस, आंध्र प्रदेश में टीडीपी और जन सेना, तमिलनाडु में पीएमके (पट्टाली मक्कल काची) को साथ लाना भाजपा की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है। चूंकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने हर कार्य में एक नया रिकॉर्ड बनाने की सोच रखते हैं, माना जा रहा है कि इन गठबंधनों का उद्देश्य 2024 में इतनी सीटें लाना है, जिससे कांग्रेस का 1984 में 404 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का रिकॉर्ड टूट जाए।

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