Elections 2025: चुनाव को लेकर बिहार BJP के नेताओं को अमित शाह ने दिया खास निर्देश, सामने आई बैठक की बातें

2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार (03 सितंबर, 2025) को दिल्ली में बिहार बीजेपी के नेताओं संग बैठक की. बैठक में क्या कुछ हुआ इसके बारे में बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने मीडिया से बातचीत में जानकारी दी. इस बैठक में विपक्ष की चर्चा भी हुई है.

दिलीप जायसवाल ने बैठक को लेकर कहा, “बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व, गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी. नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री द्वारा दिल्ली में एक बैठक बुलाई गई थी. इसमें आगामी विधानसभा चुनाव पर विस्तृत चर्चा हुई. विपक्ष द्वारा जो भ्रम जाल का माहौल बनाया जा रहा है, उस पर भी चर्चा हुई.”

बिहार बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि पहले हम लोगों ने बिहार में जिला स्तर पर एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन चलाया था, जिसकी अच्छी सफलता मिली थी. इससे एनडीए की जो चट्टानी एकता है वह सामने आई थी. अभी विधानसभा एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन हम लोगों ने शुरू किया है, तो केंद्रीय नेतृत्व की ओर से निर्देश मिला है कि इसे अच्छे तरीके से एनडीए के सभी नेताओं के साथ किया जाए. सभी विधानसभा में इसका आयोजन करना है. इसे 25 सितंबर तक हर विधानसभा में करना है.

चुनाव अभियान समिति बनाने का लिया गया निर्णय

उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में एक चुनाव अभियान समिति बनाने का निर्णय लिया गया है. चुनाव अभियान समिति के द्वारा चुनाव-प्रचार का भी आगाज किया जाएगा. इसके साथ-साथ फैसला लिया गया कि एक चुनाव समिति बनाई जाएगी जो उम्मीदवारों के चयन के लिए अलग-अलग जिले के विधानसभा के साथ पटना में बैठेगी. वहां के जिले की कोर कमेटी के साथ बैठेगी और वहां के उम्मीदवार के बारे में चर्चा करेगी. चुनाव समिति फिर फैसला लेकर केंद्रीय नेतृत्व के पास सूची भेजेगी.

सीट शेयरिंग पर क्या बोले दिलीप जायसवाल?

दिलीप जायसवाल ने कहा कि दूसरे प्रदेश से चुनाव प्रभारी बनकर आते हैं. अलग-अलग लोकसभा के लिए जिसमें छह या सात विधानसभा सीट होगी, तो एक-एक प्रभारी बनाया जाएगा जो वहीं कैंप करेंगे. वे चुनाव की रणनीति पर ध्यान रखेंगे. बैठक में निर्देश मिला है कि एनडीए गठबंधन के नेताओं के साथ मिलकर आगे का अभियान चलाना है. एक सवाल के जवाब में कहा कि सीट शेयरिंग के लिए आज कोई बैठक नहीं थी. सीट शेयरिंग का मामला केंद्रीय नेतृत्व का होता है.

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