कभी बिजली संकट से जूझता रहा बिहार, अब ऊर्जा क्षेत्र में नई क्रांति का गवाह बन चुका है. बीते दो दशकों में बिजली आपूर्ति और खपत दोनों में ऐतिहासिक बदलाव दर्ज किए गए हैं.आज बिहार के हर गांव और शहर में औसतन 22 से 24 घंटे तक बिजली आपूर्ति हो रही है, जबकि 2005 में यही आपूर्ति शहरी क्षेत्रों में 10-12 घंटे और ग्रामीण इलाकों में 5-6 घंटे तक सीमित थी.
हर घर तक पहुंची बिजली, 5 महीने पहले पूरा हुआ लक्ष्य
मुख्यमंत्री विद्युत संबंध निश्चय योजना के तहत राज्य के हर घर तक बिजली कनेक्शन लक्ष्य से 5 महीने पहले, यानी अक्टूबर 2018 तक पहुंचा दी गई थी. इस योजना का नाम बाद में ‘सौभाग्य’ योजना रख दिया गया.
प्रति व्यक्ति बिजली खपत में पांच गुना इजाफा
बिजली खपत के आंकड़े दिखाते हैं कि राज्य में प्रति व्यक्ति ऊर्जा उपयोग में जबरदस्त वृद्धि हुई है.
-
2012 में खपत थी 134 किलोवॉट,
-
2014 में यह बढ़कर 160 किलोवॉट हो गई थी।
अब यह आंकड़ा पांच गुना तक पहुंच चुका है।
उपभोक्ताओं की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
-
2005 में उपभोक्ताओं की संख्या थी 17 लाख,
-
2025 तक यह संख्या 2 करोड़ 14 लाख पार कर चुकी है।
यह करीब साढ़े 12 गुना की बढ़ोतरी है।
गांव से शहर तक बिजली का दायरा
-
शहरी क्षेत्रों में अब 23-24 घंटे औसतन बिजली रहती है।
-
ग्रामीण क्षेत्रों में भी 22-23 घंटे की बिजली आपूर्ति हो रही है।
-
2005 में यह आंकड़ा शहरी क्षेत्रों में 10-12 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 5-6 घंटे था।
विद्युतीकृत गांवों और टोलों में वृद्धि
-
2005 में विद्युतीकृत गांवों की संख्या थी 14,020,
-
2025 में यह बढ़कर 39,073 हो गई है।
-
इसी तरह, विद्युतीकृत टोलों की संख्या अब 1,06,249 तक पहुंच चुकी है।
बिहार में बिजली की स्थिति में हुआ यह बदलाव सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि राज्य के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक विकास की मजबूत नींव बन चुका है. लगातार बढ़ती ऊर्जा खपत और व्यापक नेटवर्क विस्तार राज्य को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे ले जा रहा है.