उमरिया: शहडोल संभाग अब हाथियों से अछूता नहीं है. अभी तक टीवी और इंटरनेट के माध्यम से संभाग वासियों को जंगली हाथियों के दर्शन होते थे, लेकिन अब जंगली हाथी शहडोल संभाग के किसी भी जिले में कभी भी नजर आ जाते हैं. उमरिया जिले का बांधवगढ़ उनका स्थाई पता है. शहडोल और अनूपपुर जिले में कभी भी इनका मूवमेंट हो जाता है. अब हाथियों को लेकर बड़ा प्लान भी तैयार किया जा रहा है, जिससे ना तो हाथियों को कोई नुकसान होगा और ना ही हाथियों की वजह से आम जन परेशान होंगे.
मध्यप्रदेश में हाथियों की पसंदीदा जगह
प्रकृति की अद्भुत छटा देखनी हो तो मध्य प्रदेश के शहडोल संभाग से बेहतर जगह कोई नहीं हो सकती. उमरिया जिला बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए अपनी एक खास पहचान रखता है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व बाघों की दहाड़ के लिए जाना जाता है. लेकिन अब हाथियों के लिए भी अपनी ये खास पहचान बना चुका है. क्योंकि पिछले कुछ ही सालों में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को हाथियों ने अपना स्थाई पता बना लिया है.
या यूं कहें की पूरे मध्य प्रदेश में हाथियों की सबसे पसंदीदा जगह में से एक है बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व. इसके अलावा शहडोल और अनूपपुर जिले के भी कई क्षेत्रों में अक्सर हाथियों का मूवमेंट देखने को मिल जाता है. कभी भी कहीं से भी यहां हाथी विचरण करने पहुंच जाते हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो शहडोल संभाग अब हाथियों का गढ़ बन चुका है.
हाथियों की डिजिटल मॉनिटरिंग
जंगली हाथियों के हर एक मूवमेंट पर नजर रखने के लिए अब हाथियों को लेकर बड़ा प्लान तैयार किया जा रहा है. जिसके तहत हाथियों के हर एक मूवमेंट की मॉनिटरिंग की तैयारी हो रही है. इसके लिए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ ने नोडल केंद्र चुना है. जहां जंगली हाथियों की मॉनिटरिंग के लिए डिजिटल हाईटेक कंट्रोल रूम तैयार किया जा रहा है. इसके कुछ दिनों में तैयार हो जाने की उम्मीद है.
इस हाईटेक डिजिटल मॉनिटरिंग सेंटर को लेकर कहा जा रहा है कि, ये आधुनिक संसाधनों से लेस होगा. इसमें हर तरह की सुविधा होगी. एक कंट्रोल रूम की तरह ये काम करेगा. हाथियों की हर गतिविधि पर नजर रखने के साथ ही उनकी जानकारी प्राप्त कर ग्रामीणों को होने वाले नुकसान से बचाएगा.
पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना गया
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा बताते हैं कि, ”जंगली हाथियों के लिए डिजिटल मॉनिटरिंग सेंटर बनाया जा रहा है, जो कुछ दिनों में तैयार हो जाएगा. यह पूरी तरह से हाईटेक कंट्रोल रूम होगा. इसमें हाथियों के हर एक मूवमेंट पर नजर रखी जाएगी. अत्याधुनिक तरीके से जीपीएस लोकेशन आदि के माध्यम से हाथियों के हर एक मूवमेंट की जानकारी निकाली जाएगी. उन्हें हर जगह से इकट्ठा किया जाएगा.
ग्रामीणों को हाथियों को लेकर किया जाएगा अवेयर
जहां पर भी हाथियों का ऐसा मूवमेंट होगा जिससे लगेगा कि किसी गांव की और वो जा रहे हैं, उन गांव वालों को हाथियों को लेकर अवेयर किया जाएगा. ग्रुप आदि के माध्यम से उन्हें सूचित किया जाएगा, जिससे ना तो हाथियों का नुकसान हो और ना ही किसी तरह की जनहानि हो. इस हाईटेक सेंटर से चप्पे चप्पे पर हाथियों की निगरानी की जाएगी. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को भी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुनाव किया गया है. अगर ये प्रयोग सफल होता है, तो फिर जहां-जहां हाथियों का मूवमेंट है, वहां हाईटेक कंट्रोल रूम बनाए जाएंगे.