‘सिर्फ RBI के रेपो रेट कटौती से नहीं घटेगी EMI…’ लाखों का हो सकता है नुकसान, तुरंत करें ये काम!

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की कटौती की है, जिससे यह 6 फीसदी से घटकर 5.50 फीसदी पर आ चुका है. RBI का यह कदम आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और कर्ज लेना सस्‍ता बनाना है. लेकिन एक CA का दावा है कि आपको लाखों रुपये का भुगतान करना पड़ सकता है. आइए समझते हैं…

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बिजनेस टुडे के अनुसार, चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन कौशिक ने कहा कि दरों में कटौती के बावजूद, कई लोन लेने वालों की समान मासिक किस्तों (EMI) में तत्काल कमी नहीं देखी जा सकती है. उन्होंने कहा, ‘लोग सोचते हैं कि रेपो दर में कटौती से उनकी EMI अपने आप कम हो जाती है, लेकिन ज्‍यादातर मामलों में ऐसा नहीं होता.’ उन्‍होंने कहा कि लोगों को उपाय करने पड़ते हैं, वरना उन्‍हें अपने लोन अवधि के दौरान लाखों रुपये का नुकसान हो सकता है.

उधार लेने वालों को रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) या एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR) से जुड़े लोन पर रेपो रेट कटौती के प्रभाव को समझना होगा. कौशिक ने कहा, ‘रेपो रेट में कटौती केवल उनके लिए फायदेमंद है, जिनके लोन रेपो दर से जुड़े हैं यानी रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) या एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR) के माध्यम से लोन लेने वालों को लाभ मिलता है. उन्‍होंने आगे कहा कि तब भी, लाभ खुद नहीं मिलता.

90 दिन के अंदर बैंक से बात करें
उधार लेने वालों को अपनी EMI में कमी न मिलने का एक मुख्य कारण यह है कि बैंक आमतौर पर ग्राहकों को ब्याज दरों में कटौती की सूचना पहले से नहीं देते हैं. उधार लेने वालों के पास इन लाभों का अनुरोध करने के लिए 90 दिनों की सीमित अवधि होती है. अगर आप इस अवधि से चूक जाते हैं तो आने वाले सालों में ज्‍यादा EMIs चुकाना पड़ सकता है. कौशिक लोगों को सलाह देते हैं कि वे बैंकों से जानकारी के अभाव में ज्‍यादा भुगतान से बचने के लिए समय पर कदम उठाएं.

लोगों को क्‍या करना चाहिए
उन्‍होंने कहा कि लाभ के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आपका लोन रेपो-लिंक्ड है या मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) जैसी पुराने सिस्‍टम पर बेस्‍ड है? अगर पुराना सिस्‍टम है तो आप इसे बदलने पर विचार कर सकते हैं. हालांकि इसके लिए 2 से 5 हजार के बीच शुल्‍क लग सकता है, लेकिन यह अमाउंट कुछ ही महीने में रिकवर हो जाएगा. कौशिक यह भी सलाह देते हैं कि आप अपने लोन की रीसेट डेट को कंफर्म करें और कैलकुलेट करें कि आपकी EMI उसी के अनुसार कम हो रही है.

आरबीआई से कर सकते हैं शिकायत
अगर आपकी ब्याज दर कम भी हो जाती है, तो आपको अपने बैंक को ‘RBI परिपत्र 2019 (संशोधित 2024) के अंतर्गत ब्याज रीसेट अनुरोध’ विषय पर एक ईमेल भेजकर इस कमी की पुष्टि करनी चाहिए. अगर बैंक ऐसा नहीं करता है तो आप इसकी शिकायत RBI की शिकायत प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से कर सकते हैं.

कौशिक संभावित ब्याज दरों में कटौती के मद्देनजर कर्ज लेने वालों की सतर्कता के महत्व पर जोर देते हुए कहते हैं कि सिर्फ इसलिए ज्‍यादा भुगतान न करें क्योंकि आपका बैंक आपको बताना भूल गया. जल्‍द से जल्‍द कदम उठाकर उधारकर्ता रेपो दर में कटौती का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं और अपने लोन की अवधि के दौरान काफी सेविंग कर सकते हैं.

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