मऊगंज में सरकारी सड़क पर अतिक्रमण: हाईकोर्ट का प्रशासन को नोटिस, स्थगन आदेश जारी

मऊगंज: मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले में सरकारी सड़क पर अतिक्रमण का मामला हाईकोर्ट पहुंचा, जिसके बाद कोर्ट ने मामले को संज्ञान लेते हुए तत्काल ही स्टे जारी कर स्थानीय प्रसाशन को नोटिस जारी किया है.

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मामला मऊगंज के ग्राम डगडउआ क्रमांक 2 का है, जहां पर सरकारी सड़क पर अतिक्रमण कर कुछ लोगो ने उसे खेत में तब्दील कर दिया था. यह सड़क राजस्व अभिलेखों में सरकारी सड़क के रूप में दर्ज थी और वर्षों से ग्रामीण अपने मवेशी, ट्रैक्टर और अन्य वाहन लेकर इसी सड़क से गुजरते थे.

हाईकोर्ट ने प्रशासन को जारी की नोटिस

रीवा जिले के अधिवक्ता अर्पित पांडे ने इस अतिक्रमण के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. कोर्ट ने उनकी याचिका पर तत्काल संज्ञान लेते हुए स्थगन आदेश जारी कर प्रशासन को नोटिस जारी किया है.

प्रशासन ग्रामीणों की शिकायतों को करता रहा नजरअंदाज

इस मामले को लेकर ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से शिकायत की थी. जनसुनवाई और सीएम हेल्पलाइन में की गई शिकायत ग्रामीणों ने पहले भी जनसुनवाई और सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की थी, लेकिन हर बार उनकी शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया गया.

पटवारी पर  मिलीभगत के आरोप

 

जब ग्रामीणों ने अतिक्रमण हटाने की मांग की, तो स्थानीय पटवारी ने अतिक्रमणकारियों से मिलीभगत करके वहां कोई अवैध कब्जा न होने की रिपोर्ट दे दी थी.

ग्रामीणों को धौंस और धमकी

जब ग्रामीणों ने रास्ता खुलवाने की मांग की, तो अतिक्रमणकारी राकेश पांडे ने उनके साथ गाली-गलौज की और मारपीट की धमकी दी, जिससे गांव के लोग डरकर पीछे हट गए.

 

पीआईएल के बाद मिला स्थगन आदेश

स्थानीय प्रशासन से जब कोई समाधान नहीं निकाला, तो अधिवक्ता अर्पित पांडे ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहां हाईकोर्ट ने तुरंत उनकी याचिका पर संज्ञान लिया और प्रशासन को नोटिस जारी कर स्थगन आदेश जारी कर किया हाईकोर्ट के अधिवक्ता मोहित वर्मा ने मामले की पैरवी की.

हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब जिला प्रशासन सरकारी सड़क को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए मजबूर होगा. अगर प्रशासन इसमें देरी करता है तो उसे अवमानना ​​का सामना करना पड़ सकता है. इस फैसले से ग्रामीणों में खुशी की लहर है, क्योंकि अब उन्हें सालों से हो रहे अन्याय के खिलाफ न्याय मिल गया है.

यह मामला प्रशासन की उदासीनता और प्रभावशाली लोगों के अहंकार को उजागर करता है. अगर प्रशासन समय रहते कार्रवाई करता तो यह मामला हाईकोर्ट तक नहीं पहुंचता. अब देखना होगा कि प्रशासन हाईकोर्ट के आदेश पर कितनी जल्दी अमल करता है और ग्रामीणों के लिए यह सड़क कब तक खुलती है.

 

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