इंजीनियर ने बनाई फर्जी दवा कंपनी, दुर्ग में चला रहा था नशे का रैकेट

छत्तीसगढ़ के दुर्ग में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके एक युवक ने पहले दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर फर्जी दवा कंपनी बनाई। इस कंपनी को वैध जीएसटी नंबर भी मिला। इसके बाद आरोपी ने इस कंपनी के नाम पर दूसरे राज्यों और ऑनलाइन बिजनेस प्लेटफॉर्म से नशीली दवाएं मंगाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उसने इन दवाओं का अवैध व्यापार शुरू कर दिया और दुर्ग में नशे का रैकेट चला रहा था।

पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी खुद नशे का आदी था। नशे की लत पूरी करने के लिए उसने यह रास्ता चुना और फर्जी कंपनी का सहारा लिया। उसने कंपनी के नाम पर दवाओं की सप्लाई मंगवाकर उन्हें ब्लैक में बेचना शुरू किया। उसके नेटवर्क में कुछ और लोग भी शामिल बताए जा रहे हैं।

अधिकारियों ने बताया कि आरोपी की हरकतों पर लंबे समय से निगरानी रखी जा रही थी। शिकायतें बढ़ने के बाद जब उसकी कंपनी और कारोबार की जांच की गई, तो पता चला कि कंपनी केवल कागजों पर मौजूद है। मौके पर न तो कोई ऑफिस मिला और न ही कोई वास्तविक उत्पादन। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी ने कंपनी का पंजीकरण करने के लिए कई दस्तावेजों में हेरफेर किया था।

पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि वह नशीली दवाओं की बड़ी खेप बाहर से मंगाकर स्थानीय स्तर पर बेचता था। पुलिस ने आरोपी से कई नशीली दवाएं, कंपनी से जुड़े नकली कागजात और ऑनलाइन ऑर्डर का रिकॉर्ड बरामद किया है।

फिलहाल, आरोपी से जुड़े अन्य लोगों की पहचान की जा रही है। पुलिस का कहना है कि यह एक बड़ा नेटवर्क हो सकता है, जिसकी जड़ें कई राज्यों तक फैली हैं। दुर्ग में पकड़े गए इस मामले ने नशीले पदार्थों की बढ़ती खपत और अवैध व्यापार की गंभीरता को उजागर कर दिया है। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि ऐसे रैकेट में शामिल लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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