फिल्म अभिनेता सलमान खान और अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी को गुरुवार को जोधपुर हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. राजस्थान के जोधपुर हाईकोर्ट ने दोनों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि बिना मंजूरी और जांच के एससी-एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती.
दरअसल, यह मालमा साल 2013 को सलमान खान और शिल्पा शेट्टी कुंद्रा के एक इंटरव्यू का है. जहां याचिकाकर्ता ने इस इंटरव्यू में सलमान और शिल्पा की ओर से भंगी शब्द का इस्तेमाल करने पर आपत्ती जताई थी. उनका कहना है कि इस शब्द से वाल्मीकि समुदाय के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है.वहीं, इस मामले में अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी ने साल 2017 में ही माफी मांग ली थी.
वाल्मीकि समुदाय की भावनाओं को पहुंची ठेस
सलमान खान और शिल्पा शेट्टी के खिलाफ साल 2013 में ये मामला दर्ज किया गया था. वहीं, तीन साल बाद साल 2017 में इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी. इस मामले में दोनों कलाकारों पर टीवी पर दिए गए इंटरव्यू में वाल्मीकि समुदाय के लोगों के खिलाफ कथित ‘भंगी’ शब्द का इस्तेमाल करने का आरोप था. वहीं, इस मामले की सुनवाई गुरुवार को जोधपुर हाईकोर्ट में हुई. जहां कोर्ट ने शिल्पा शेट्टी और सलमान खान के पक्ष में फैसला सुनाया.
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि कानून की यह स्थापित धारणा है कि जब तक एफआईआर में देरी का कारण नहीं बताया जाता, तब तक यह अपने आप में घातक है. वहीं, जोधपुर हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि बिना मंजूरी और जांच के एससी-एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती. साथ ही सलमान खान और शिल्पा शेट्टी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का फैसला सुनाया है.
मैं सभी धर्मो का सम्मान करती हूं- शिल्पा
यह मामला चूरू कोतवाली थाने में दर्ज किया गया था. वहीं शिल्पा शेट्टी इस मामले में साल 2017 में ही माफी मांग चुकी हैं. माफी मांगते हुए उन्होंने कहा था, ‘अगर उन्होंने ऐसा किया है तो मैं माफी मांगती हूं. मुझे ऐसे देश से होने पर गर्व है जहां अलग-अलग जातियां और धर्म हैं. मैं उनमें से प्रत्येक का सम्मान करती हूं.’
कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया गया कि इस मामले में एससी-एसटी अधिनियम लागू नहीं होता है. क्योंकि कथित टिप्पणियों में जाति के आधार पर अपमानित करने का इरादा नहीं था. इस प्रकार यह एफआईआर कानूनी रूप से अस्थिर है और प्रक्रिया का दुरुपयोग है. वहीं, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी आरोप नहीं था जो वर्तमान शिकायत को जारी रखने के योग्य हो और मामले को रद्द कर दिया.