सवालों के जवाब के बाद ही एंट्री… इस गांव में लोग ही बन गए ‘गार्ड’, बिना पूछे अंदर जाने नहीं दे रहे

भागलपुर  : जिले के कुलकुलिया सैदपुर गांव में ग्रामीणों ने नशाखोरी के खिलाफ अभूतपूर्व पहल की है. गांव के प्रवेश द्वार पर बैरियर लगाकर ‘रोको टोको’ अभियान चलाया जा रहा है. नशेड़ियों के प्रवेश पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है जिससे गांव में शांति का माहौल बना है.

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बिहार के भागलपुर जिले के एक गांव में नशा करने वालों के लिए अब कोई जगह नहीं है. लोगों ने नशेड़ियों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है, उनकी एंट्री पर बैन लगाया गया है. गांव के एंट्री गेट पर ड्रॉप गेट लगाकर ‘रोको टोको अभियान’ चलाया जा रहा है. ग्रामीण खुद से पहरेदारी करते हैं और संदिग्ध को रोककर उससे पूछताछ करते हैं.

 

दरअसल, राज्य में शराबबंदी के बाद सूखा नशे का प्रचलन तेजी से बढ़ गया है और युवा पीढ़ी पूरी तरह इसकी जकड़ में आ गई है. नशा का जाल गांव-गांव तेजी से फैला है. खासकर ब्राउन शुगर और स्मैक के नशे की लत से युवा खुद को बर्बादी की तरफ धकेल रहे हैं.

 

दरअसल, भागलपुर जिले के रसलपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कहलगांव के लोगों ने नशे के खिलाफ ठोस पहल की है. रसलपुर थाना इलाके के कुलकुलिया सैदपुर गांव के लोगों ने ठोस पहल की है. नशा छोड़ो वरना सीडीओ को रोकने के लिए गांव के प्रवेश पथ पर ड्रॉप गेट लगा दिया गया है. ग्रामीण वहां पर खुद से ड्यूटी करते हैं ताकि जो संदिग्ध गांव में पहुंचे उसे रोककर पूछताछ की जा सके. इस पहल के बाद गांव में नशेड़ियों का जमावड़ा कम हुआ है.

 

युवाओं को नशे से बचाने की पहल

दरअसल, कुलकुलिया गांव रसलपुर थाना क्षेत्र के अंतिम छोर का गांव है, इसी वजह से यहां पुलिस की गश्ती भी बहुत ही कम होती थी. इसका फायदा नशेड़ी उठाते थे और इसी गांव में नशा का अड्डा जमाते थे, लेकिन अब इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है. ग्रामीणों ने खुद इसकी जिम्मेदारी उठा ली है, जिसका असर भी देखने को मिल रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि हर रोज दर्जनों किशोर और युवकों का जमावड़ा गांव के अनेक जगहों पर लगता था. 15 से 25 साल के युवा सूखे नशे की लत में थे. नशेड़ी यहां कभी रात तो कभी दिन में भी आकर नशा करते थे जिससे गांव के भी कई किशोर इसकी लत में आ गए थे

 

ऐसे फैला रहे कारोबार

ग्रामीणों ने बताया कि नशा करने के दौरान रोजाना गांव में हंगामा और विवाद होता था. रास्ते में आने जाने वाली महिलाओं और छात्राओं पर नशेड़ी भद्दी-भद्दी टिप्पणियां और कमेंट करते थे, जिससे गांव का माहौल पूरी तरह बिगड़ने लगा था. नए बच्चे नशे का शिकार हो रहे हैं. बाहर से आने वाले लोग यहां ब्राउन शुगर का नशा करते थे. इससे माहौल खराब हो रहा था.

 

अब गांव में नहीं मिल रही एंट्री

ग्रामीणों ने परेशान होकर एक बैठक बुलाई और इस बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि गांव के मुख्य द्वार पर ड्रॉप गेट लगाकर नशेड़ियों को रोका जाएगा. अब जो भी व्यक्ति गांव में प्रवेश करता है उससे पूछताछ होती है यदि वह ग्रामवासी है या किसी का संबंधी है तो उनका नाम बताने पर ही अंदर प्रवेश मिलता है. ग्रामीणों की अलग-अलग टोली बनाकर सभी का समय निर्धारित किया गया, जो ड्रॉप गेट के पास पहरेदारी करेंगे. बैरियर के पास 24 घंटे ग्रामीण पहरेदारी कर रहे हैं जिससे नशेड़ियों का गांव में प्रवेश पूरी तरह बंद है. अब नशे के कारोबारी से लोग भयभीत हैं.

 

ग्रामीणों का कहना है कि वह दबंग और आपराधिक छवि के लोग हैं. वह लोग गांव में ब्राउन शुगर की बिक्री करवाते हैं, जिसे लेने के लिए आसपास के गांव के युवा यहां आते हैं. हम लोग उनका विरोध नहीं कर सकते, इस वजह से ही हम लोगों ने यह अभियान शुरू किया. नशे के कारोबारी हम लोगों को जान से मारने की धमकी देते हैं.

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