इटावा: नाले में गिरी 7 वर्षीय अनम 68 घंटे बाद भी लापता, प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल!

 

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इटावा में 24 जुलाई की दोपहर को हुई मूसलाधार बारिश के बीच मेवाती टोला की सात वर्षीय अनम के नाले में गिर जाने की दुखद घटना के 68 घंटे से अधिक बीत जाने के बाद भी बच्ची का कोई सुराग नहीं मिल पाया है. प्रशासन की तमाम कोशिशों और व्यापक खोज अभियानों के बावजूद मासूम अनम लापता है, जिससे परिवार में गहरा मातम पसरा हुआ है और शहर में प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं.

बचाव अभियान और चुनौतियां
घटना के तीसरे दिन, शनिवार को भी बच्ची की तलाश में व्यापक अभियान चलाया गया. एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की 13 सदस्यीय टीम को यमुना नदी में उतारा गया. टीम प्रभारी जावेद अहमद के नेतृत्व में शनिवार सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक, यानी पूरे 8 घंटे, यमुना में सघन सर्च ऑपरेशन चलाया गया.

इटावा से पंचनद तक के विस्तृत क्षेत्र में मोटर बोट का उपयोग कर गहराई से जांच की गई. हालांकि, यमुना नदी का बढ़ा हुआ जलस्तर और तेज बहाव बचाव दल के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया, जिससे खोज अभियान में बाधाएं आईं और कोई सफलता नहीं मिल पाई. इसके साथ ही, नगर पालिका की टीमें भी शहर के विभिन्न नालों में अनम की तलाश कर रही हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी है.

परिवार का दर्द और प्रशासन पर लापरवाही के आरोप
अनम के पिता मुस्तफा और मां निशा बानो का बेटी की तलाश में रो-रोकर बुरा हाल है. चार दिनों से अपनी बेटी की राह ताक रहे परिवार ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि घटना की सूचना दिए जाने के बावजूद शुरुआत में गंभीरता नहीं बरती गई. परिवार का दर्द इस सवाल में बदल गया है कि “हमारी बेटी को नाले ने निगल लिया या प्रशासन की लापरवाही ने?” यह सवाल अब इटावा के हर नागरिक की जुबान पर है, जो नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर उंगली उठा रहा है.
नगर पालिका की सफाई व्यवस्था की खुली पोल
अनम के नाले में बहने की आशंका ने नगर पालिका की सफाई व्यवस्था की पोल खोल दी है. बच्ची की तलाश में जब नगर पालिका की नाला गैंग ने शहर के विभिन्न नालों की सफाई शुरू की, तो हर जगह टन-के-टन कूड़ा और गंदगी का अंबार मिला.

यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि बारिश के मौसम से पहले नगर पालिका ने नालों की सफाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए थे. सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करने के दावों के बावजूद, नालों की यह स्थिति बताती है कि जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है, और इसी लापरवाही का खामियाजा अनम जैसी मासूमों को भुगतना पड़ रहा है.

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