जसवंतनगर/इटावा: जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण ग्रामीणों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, हाल ही में सामने आए दो मामलों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पहले मामले में, शाहजहाँपुर गांव के निवासी फूलन सिंह ने उपजिलाधिकारी जसवंतनगर को एक प्रार्थना पत्र दिया था. उन्होंने बताया कि मौजा दर्शनपुरा के गाटा संख्या 82 पर जाने के लिए बना चकरोड को लोगों ने जोतकर अपने खेतों में मिला लिया है. इस कारण किसान अपने खेतों तक ट्रैक्टर और अन्य कृषि यंत्र नहीं ले जा पा रहे हैं. इसके अलावा, जब वे इस रास्ते से गुजरते हैं तो दबंग लोग उन्हें गाली-गलौज करते हैं और जान से मारने की धमकी देते हैं. उपजिलाधिकारी ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए थे, लेकिन आज तक कोई अधिकारी या कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा है.
दूसरे मामले में, पत्रकार एमएस वर्मा ने उपजिलाधिकारी को एक लिखित शिकायत की थी. उन्होंने बताया कि छिमारा मार्ग पर स्थित एक मिठाई की दुकान के मालिक अमरनाथ हलबाई ने तहसील दिवस में बसुधा वर्मा द्वारा की गई शिकायत के परिपेक्ष में एक लिखित अनुबंध किया था। इस अनुबंध के अनुसार, दुकान के सामने किसी भी ग्राहक का वाहन नहीं खड़ा होगा. हालांकि, अमरनाथ हलबाई ने कुछ दिनों बाद यह नियम तोड़ना शुरू कर दिया, जब पत्रकार ने इस बारे में शिकायत की तो उपजिलाधिकारी ने थाना जसवंतनगर को आदेश दिया, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की.
इन दोनों मामलों से स्पष्ट है कि जिला प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी अपने कर्तव्यों का पालन करने में पूरी तरह विफल रहे हैं. वे शिकायतों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और लोगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं.
यह भी कहा जा रहा है कि अधिकारी और कर्मचारी रिश्वत लेने में लगे हुए हैं, वे शिकायतों को दबाने के लिए पैसे लेते हैं, इस तरह की गतिविधियों से आम लोगों का विश्वास प्रशासन से उठ रहा है, ग्रामीणों का कहना है कि वे अब योगी सरकार से न्याय की उम्मीद कर रहे हैं। वे मांग कर रहे हैं कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और उनकी समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाए.