इटावा: उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ विद्युत कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन आज भी जारी रहा. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर प्रदेश के सभी जिलों और परियोजना मुख्यालयों पर कर्मचारियों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया.
इटावा में अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर शाम पांच बजे के बाद एक विशाल विरोध सभा का आयोजन किया गया. संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक विवेक कुमार सिंह, सचिव गगन अग्निहोत्री समेत कई प्रमुख पदाधिकारियों ने इस सभा को संबोधित किया, कर्मचारियों ने सरकार के निजीकरण के फैसले के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और अपनी मांगों को दोहराया.
कर्मचारियों का यह विरोध प्रदर्शन आज और कल 7 मार्च को भी जारी रहेगा. आंदोलन के 101वें दिन लखनऊ में सभी श्रम संघों और सेवा संगठनों के केंद्रीय पदाधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक होगी. इस बैठक में निजीकरण के विरोध को और तेज करने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जाएगा. छह केंद्रीय श्रम संघों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल रोकने की मांग की है, श्रम संघों ने आरोप लगाया है कि, ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति में हितों के टकराव के प्रावधान को जानबूझकर शिथिल किया गया है, जिससे निजीकरण प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की आशंका बढ़ गई है.
हिंद मजदूर सभा, एटक, इंटक, सीटू, एआईटीयूसी और सेवा के प्रतिनिधियों ने एक संयुक्त बैठक में बिजली कर्मचारियों के आंदोलन को अपना पूर्ण समर्थन दिया, बैठक की अध्यक्षता एटक के चंद्रशेखर ने की. संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने एक बार फिर दोहराया है कि, पावर कार्पोरेशन प्रबंधन को निजीकरण का राग बंद कर देना चाहिए और बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लेकर सुधार की प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए, कर्मचारियों का स्पष्ट कहना है कि, वे सुधार चाहते हैं, लेकिन निजीकरण के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि, निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों की ऊर्जा व्यर्थ जा रही है, जबकि इसी ऊर्जा का उपयोग बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए किया जा सकता है.
इस विरोध प्रदर्शन ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण के मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है, अब देखना यह है कि, सरकार और कर्मचारियों के बीच इस गतिरोध का क्या समाधान निकलता है.