इटावा : डेरा लालपुरा गांव में भीषण अग्निकांड, सात परिवारों का सब कुछ खाक; भाजपा नेताओं ने दिया हरसंभव मदद का आश्वासन

इटावा/भरथना:  इटावा जिले के भरथना क्षेत्र के डेरा लालपुरा गांव में हाल ही में हुए एक भयावह अग्निकांड ने सात गरीब परिवारों की खुशियों को पल भर में राख कर दिया है। रविवार रात हुई इस भीषण आगजनी में सात घरों में रखा सारा सामान जलकर खाक हो गया, जिससे ये परिवार बेघर हो गए हैं.

 

आग की लपटें इतनी तेज़ थीं कि किसी को कुछ भी बचाने का मौका नहीं मिला.घरों में रखा अनाज, कपड़े, बर्तन, बच्चों के स्कूल के कागज़ात, राशन कार्ड, पहचान पत्र और अन्य ज़रूरी दस्तावेज़ – सब कुछ आग की भेंट चढ़ गया। यह घटना इन परिवारों के लिए किसी बड़े सदमे से कम नहीं है, विशेषकर महिलाओं और बुजुर्गों पर इसका गहरा मनोवैज्ञानिक असर पड़ा है.

 

घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि तुरंत हरकत में आए. क्षेत्रीय भाजपा नेता और पूर्व विधायक डॉ. सिद्धार्थ शंकर तत्काल घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवारों से मिलकर उनका दुख साझा किया और उन्हें ढांढस बंधाया। डॉ. शंकर ने इस घटना को “बहुत ही दर्दनाक” बताते हुए कहा कि वह इन पीड़ित परिवारों के साथ पूरी मज़बूती से खड़े हैं.

 

उन्होंने आश्वासन दिया कि वे शासन स्तर से इन परिवारों को हरसंभव मदद दिलाने का पूरा प्रयास करेंगे। अपनी ओर से, डॉ. शंकर ने तत्काल भोजन और अस्थाई निवास की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि वे प्रशासन से जल्द से जल्द मुआवज़े की राशि दिलाने और उनके पुनर्वास का प्रयास करेंगे, ताकि इन परिवारों को इस मुश्किल घड़ी से निकलने में मदद मिल सके.

 

इस मौके पर डॉ. सिद्धार्थ शंकर के साथ भाजपा के अन्य प्रमुख नेता भी मौजूद रहे, जिनमें गिरीश शुक्ला, धर्मेंद्र शाक्य, प्रतीक अग्रवाल, सौरभ दुबे और पूर्व प्रधान प्रकाश नाथ शामिल थे। इन सभी नेताओं ने भी पीड़ित परिवारों से मिलकर उनकी व्यथा सुनी और उन्हें हरसंभव सहायता का भरोसा दिलाया। उन्होंने उपस्थित स्वयंसेवकों और ग्रामीणों से भी अपील की कि वे एकजुट होकर पीड़ित परिवारों के लिए राहत सामग्री जुटाने में मदद करें.

 

ग्रामीणों की आपबीती सुनकर हर किसी की आँखें नम हो गईं। पीड़ितों ने बताया कि आग इतनी तेज़ी से फैली कि उन्हें अपने बच्चों के स्कूल के कागज़, राशन कार्ड या पहचान पत्र जैसा कोई भी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ बचाने का अवसर नहीं मिला। उनका सब कुछ, जो उन्होंने सालों की मेहनत से जुटाया था, एक पल में ख़त्म हो गया। इस हादसे ने उन्हें पूरी तरह से बेसहारा छोड़ दिया है.

डेरा लालपुरा के ग्रामीणों और भाजपा नेताओं ने एक स्वर में प्रशासन से मांग की है कि इन पीड़ित परिवारों को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। इसके साथ ही, उनके लिए स्थायी पुनर्वास की व्यवस्था की जाए, ताकि वे दोबारा अपना जीवन शुरू कर सकें। यह घटना जहां एक ओर स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था की अग्निपरीक्षा बनकर सामने आई है.

 

 

वहीं दूसरी ओर जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों की तत्परता से उम्मीद की एक किरण भी दिखाई देती है। अब देखना यह होगा कि शासन-प्रशासन इस गंभीर स्थिति से निपटने और इन बेघर हुए परिवारों को राहत प्रदान करने के लिए कितनी तेज़ी और संवेदनशीलता से कार्य करता है.

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