इटावा/जसवंतनगर : उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िले में एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दहेज हत्या के एक जघन्य मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम, सुनीता शर्मा ने आरोपी पति सतेंद्र उर्फ रिंकू को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है. यह निर्णय समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ एक कड़ा संदेश माना जा रहा है.
मामला बलरई थाना क्षेत्र के निजामपुर गांव का है, जिसने 23 जुलाई 2021 को पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया था. पीड़िता शिवानी के पिता, राम वीर ने अपनी बेटी के ससुराल वालों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि उनकी बेटी शिवानी की शादी कुछ ही समय पहले सतेंद्र उर्फ रिंकू से हुई थी. शादी के महज़ तीन महीने बाद ही, अतिरिक्त दहेज की मांग को लेकर शिवानी को प्रताड़ित किया जाने लगा.
राम वीर ने आरोप लगाया कि 23 जुलाई 2021 को उनकी बेटी को ससुरालवालों ने निर्ममता से मारने का प्रयास किया. पहले, उन्होंने एक सिलेंडर खोलकर आग लगाने की कोशिश की, जिससे शिवानी की जान खतरे में पड़ गई. जब यह प्रयास विफल रहा, तो उन्होंने और भी बर्बरतापूर्ण तरीके से शिवानी को करंट लगा दिया. इस अमानवीय कृत्य के कारण शिवानी गंभीर रूप से घायल हो गईं.
गंभीर हालत में शिवानी को तुरंत पीजीआई (स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान) में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी जान बचाने की हर संभव कोशिश की. हालांकि, चोटों की गंभीरता के कारण इलाज के दौरान ही शिवानी की दुखद मृत्यु हो गई.
घटना के बाद पुलिस ने मामले की गहनता से जांच की और सभी आवश्यक साक्ष्य जुटाए. जांच पूरी होने पर, पुलिस ने आरोपी पति सतेंद्र के खिलाफ सबूतों के आधार पर आरोप पत्र तैयार कर कोर्ट में पेश किया. फास्ट ट्रैक कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान, अभियोजन पक्ष ने मजबूत साक्ष्य और गवाहों के बयान पेश किए, जिन्होंने आरोपी के खिलाफ आरोप को स्थापित करने में मदद की.
सभी साक्ष्यों और तथ्यों पर विचार करने के बाद, कोर्ट ने पति सतेंद्र उर्फ रिंकू को अपनी पत्नी शिवानी की दहेज के लिए हत्या करने का दोषी पाया. न्यायाधीश सुनीता शर्मा ने अपने फैसले में समाज में बढ़ती दहेज प्रथा की निंदा की और ऐसे अपराधों के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने पर जोर दिया.
कोर्ट ने दोषी पति पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. साथ ही, यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि दोषी जुर्माना राशि का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा.