बीएसएफ की नौकरी के लिए घर तक गिरवी रखा, कर्ज लेकर दलालों को दी रकम

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में बगैर परीक्षा दिए नौकरी पाने का दलालों ने ऐसा लालच दिया कि तीन राज्यों- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के नौ युवाओं ने अपना घर, गहने तक बेच डाले। परिवार ने सपना देखा था, बेटा वर्दी पहनकर आएगा।

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इसके लिए कुछ भी करने को तैयार थे, लेकिन जब पुलिस इन्हें दरवाजे पर लेकर पहुंची तो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। पूरे परिवार का भविष्य इसी पर टिका था, लेकिन इस फर्जीवाड़े में अब वही बेटा जेल जाएगा।

रिश्तेदारों से उधार लेकर रुपये दिए

अलीगढ़ के संदीप के स्वजन ने रिश्तेदारों से रुपए उधार लेकर दो लाख रुपये दलालों को दिए। आगरा के पवन गुर्जर के घर पुलिस पहुंची तो स्वजन रोते हुए बोले- सबकुछ बर्बाद हो गया। बता दें कि बीएसएफ में भर्ती के लिए नौ अभ्यर्थियों ने साल्वरों से परीक्षा दिलवाई और सफल होने पर ग्वालियर स्थित टेकनपुर बीएसएफ में नौकरी ज्वाइन करने पहुंच गए, लेकिन पकड़े गए।

कुछ ज्वाइनिंग के बाद रुपये देने वाले थे

परीक्षा देने के बदले इन अभ्यर्थियों ने साल्वरों को कुल साढ़े 38 लाख रुपये दिए थे। कुछ ने एडवांस रकम ही दी थी, वे ज्वाइनिंग के बाद और रुपये साल्वरों को देने वाले थे। ग्वालियर के बिलौआ थाना प्रभारी इला टंडन ने बताया कि पुलिस टीम छत्तीसगढ़ के पतों पर साल्वरों की धर-पकड़ के लिए रायपुर गई है।

सरकारी नौकरी के दरवाजे बंद, निजी संस्थान लायक डिग्री नहीं

पकड़े गए युवकों में आगरा के दलवीर से पांच लाख, पवन गुर्जर से पांच लाख, अलीगढ़ के संदीप कुमार से 50 हजार, धौलपुर राजस्थान के संदीप सिंह से पांच लाख , परवेन्द्र गुर्जर से पांच लाख, मुरैना के रामदास सिंह से 3.50 लाख, अजय राजावत से 3.50 लाख, अनिल कुमार सिंह से आठ लाख, शिकोहाबाद के आकाश सिंह से तीन लाख रुपये दलालों ने लिए।

रिमांड पूरी होते ही पुलिस इन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेजेगी। आपराधिक प्रकरण दर्ज होने की वजह से इनके लिए सरकारी नौकरी के दरवाजे अब बंद हो गए हैं। सभी युवक 20 से 25 वर्ष के बीच आयु वर्ग के हैं।

14 लाख में था सौदा, एडवांस के बाद 75 प्रतिशत और 25 प्रतिशत तनख्वाह से देने थे

बिलौआ थाने के सब इंस्पेक्टर राजवीर सिंह यादव ने बताया कि इन युवकों तक नियुक्ति पत्र और दस्तावेज पहुंचाने वाला गैंग एक ही है। सभी को नौकरी दिलाने के एवज में 14-14 लाख रुपये देने थे। किसी ने 50 हजार तो किसी ने एक लाख और किसी ने आठ लाख रुपये तक एडवांस दिया।

वहीं अधिकांश युवकों को ज्वाइनिंग होते ही 14 लाख की 75 प्रतिशत रकम, फिर 25 प्रतिशत रकम ट्रेनिंग पर जाने के बाद मिलने वाले वेतन से देनी थी। यह पूरी डील दलालों ने की थी।

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