क्या आपको जानकारी है कि दुनिया के किसी भी कोने में कोई जन्म ले रहा है वो कर्जदार बन रहा है. आप भी कहेंगे कि ये क्या मजाक है? लेकिन ये सच है. दुनिया पर इतना कर्ज हो चुका है कि अगर उसे दुनिया के हर किसी शख्स में बांट दिया जाए तो करीब 11 लाख रुपए कर्जदार हो जाएगा. एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया पर कुल कर्ज 102 ट्रिलियन डॉलर यानी 8,67,53,95,80,00,00,001 रुपए है. जबकि दुनिया की आबादी 8.2 बिलियन है. दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी यानी अमेरिका पर सबसे ज्यादा कर्ज है.
जबकि चीन, जापान, यूरोप के देश भी इसी फेहरिस्त में शामिल है. खास बात तो ये है कि भारत इस लिस्ट में 7वें नंबर है. जिस पर 3 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है. जोकि कुल जीडीपी से भले ही कम हो, लेकिन भारत जैसे उभरते हुए बाजार के लिए ये कर्ज भी काफी ज्यादा है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इस रिपोर्ट में दुनिया और देशों के कर्ज को लेकर किस तरह के आंकड़े पेश किए गए हैं.
दुनिया पर कुल कर्ज
आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार साल 2024 पर दुनिया पर बढ़ता कर्ज बड़ी समस्या बन चुका है. दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमीज अमेरिका और चीन पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है. अगर बात ग्लोबल डेट की करें तो 102 ट्रिलियन डॉलर यानी 8,67,53,95,80,00,00,001 रुपए पर आ गया है. जबकि ग्लोबल जीडीपी 110 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गई है. इसका मतलब है कि दुनिया का डेट भले ही ग्लोबल जीडीपी से कम हो, लेकिन ये कर्ज कुल जीडीपी का करीब 93 फीसदी हो चुका है. जोकि काफी खतरनाक लेवल है. कई देश को अपनी कुल जीडीपी से ज्यादा कर्ज ले चुकेू हैं. साथ ही कुछ बड़े देश डिफॉल्ट के कगार भी पहुंच गए हैं.
एक शख्स पर 11 लाख का कर्ज
दुनिया पर 8,67,53,95,80,00,00,001 रुपए का कर्ज है, जोकि कम नहीं है. वहीं दुनिया की आबादी 820 करोड़ है. अगर इस कर्ज को सभी में बराबर बांट दिया जाए तो हर एक शख्स करीब 11 लाख रुपए यानी करीब 13 हजार डॉलर का कर्जदार हो जाएगा. ये एक औसत डाटा है. जिसके कम और ज्यादा होने के अनुमान इसलिए है, क्योंकि दुनिया की आबादी में हर एक सेकंड में बदलाव होता है. अगर इसी औसत को बेस मान लिया जाए तो दुनिया के हरेक शख्स पर 11 लाख का कर्ज है कम नहीं है. कई देशों में किसी एक शख्स की पूरी उम्र की इनकम भी इतनी नहीं है. ऐसे में 11 लाख का औसत कर्ज काफी खतरनाक लेवल है.
दुनिया के बड़े देशों पर कितना कर्ज
दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी पर सबसे ज्यादा 36 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है, जो उसकी कुल जीडीपी का 125 फीसी है. खासबात तो ये है कि ग्लोबल इकोनॉमी के कुल कर्ज में अमेरिका की हिस्सेदारी 34.6 फीसदी है.
वहीं दूसरी ओर चीन का कर्ज भी कम नहीं है. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी पर पिछले साल 14.69 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज था. इसका मतलब है कि ग्लोबल कर्ज में चीन की हिस्सेदारी 16.1 फीसदी है.
वहीं तीसरे नंबर पर जापान है, जिस पर 10.79 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है. ग्लोबल डेट में उसकी हिस्सेदारी 10 फीसदी है.
ब्रिटेन का कर्ज भी कम नहीं है. साल 2023 में ब्रिटेन पर 3.46 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज था, जो ग्लोबल डेट का 3.6 फीसदी है.
कर्ज के मामले में पांचवे नंबर पर फ्रांस और छठे नंबर पर इटली है. फ्रांस पर मौजूदा समय में 3.35 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है. जबकि इटली पर 3.14 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है.
क्या है भारत की स्थिति
वहीं बात भारत की करें तो कर्ज के मामले में 7वें पायदान पर है. दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी भारत पर 3.057 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है. जबकि भारत की कुल जीडीपी 3.7 ट्रिलियन डॉलर है. ऐसे में भारत का कर्ज कुल जीडीपी से कम है, लेकिन डेट का वॉल्यूम भारत जैसी उभरती इकोनॉमी के लिए काफी खतरनाक है. अगर बात ग्लोबल डेट में हिस्सेदारी की करें तो 3.2 फीसदी है. वहीं दुनिया के कुछ देश ऐसे भी है, जिनपर काफी कम कर्ज है. इराक, चिली, चेक गणराज्य, वियतनाम, हंगरी, यूएई. बांग्लादेश, यूक्रेन, ताइवान, रोमानिया, नॉर्वे, स्वीडन, कोलंबिया, आयरलैंड और फिनलैंड पर है. वहीं पाकिस्तान के कुल कर्ज की ग्लोबल डेट में हिस्सेदारी 0.3 फीसदी देखने को मिली है.