पेट्रोल-डीजल और सीएनजी के बाद इलेक्ट्रिक सेगमेंट तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले समय में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में उछाल देखने को मिल सकता है. हाल ही में एक सरकारी रिपोर्ट से इस बात का पता चला है कि 2030 तक भारत में ईवी की तस्वीर बदल सकती है और देश में बिकने वाले वाहनों में 30 से 35 फीसदी वाहन इलेक्ट्रिक होंगे.
एसबीआई कैपिटल मार्केट की रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है कि मार्केट में पेट्रोल और डीजल से दौड़ने वाले व्हीकल्स रहेंगे लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में तेजी देखने को मिलेगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इलेक्ट्रिक व्हीकल में बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक ड्राइव यूनिट दोनों ही जरूरी कॉम्पोनेंट्स हैं और इनकी कीमत वाहन की कुल लागत का 50 प्रतिशत हिस्सा होता है.
EV को बूस्ट करने के लिए सरकार उठा रही कदम
सरकार भी इलेक्ट्रिक सेगमेंट को बूस्ट करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, ईवी की कीमतों को कम करने के लिए एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल के लिए पीएलएआई स्कीम को शुरू किया गया. मौजूदा समय की बात करें तो ऑरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चर 75 फीसदी बैटरी को बाहर से खरीद रहे हैं लेकिन आने वाले समय में कंपनियां खुद ही बैटरी को बनाना शुरू कर सकते हैं.
अरबों रुपए के निवेश से बदलेगी तस्वीर
रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक 500 से 600 अरब रुपए के निवेश से 100 गीगावाट ईवी बैटरी क्षमता को बनाने का अनुमान है. यही नहीं, चार्जिंग स्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने के लिए 200 अरब रुपए की भी जरूरत होगी.
EV Policy की हुई तारीफ
SBI कैपिटल मार्केट की रिपोर्ट में ईवी पॉलिसी की तारीफ की गई है. PM E Drive स्कीम से न सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिल रहा है बल्कि चार्जिंग इंफ्रास्क्रचर का विस्तार करने के लिए भी सपोर्ट दिया जा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राइवेट गाड़ियों की जब बात आथी है तो लोग डिजाइन, परफॉर्मेंस, सेफ्टी और कंफर्ट पर सबसे ज्यादा ध्यान देते हैं.