कश्मीर में जाने वाले टूरिस्टों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार से मांग की गयी है. पनुन संगठन ने गुरुवार को केंद्र सरकार से कश्मीर के लिए ट्रैवल एडवाइजरी जारी करने का आग्रह किया है. संगठन ने कहा कि घाटी में स्थिति सामान्य नहीं है ऐसे में पर्यटकों और विशेष रूप से हिंदुओं को गंभीर खतरा हो सकता है.
22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने 28 लोगों की हत्या कर दी. इस घटना में मारे जाने वाले ज्यादा पर्यटक थे. सभी की गोली मारकर हत्या की गई. स्थानीय लोगों ने बताया कि पीड़ितों को गोली मारने से पहले उनसे उनके धर्म के बारे में पूछा गया था. यहां पत्रकारों से बात करते हुए पनुन कश्मीर के अध्यक्ष अजय च्रुंगू ने कहा कि कश्मीर में आतंकवादी हमला एक साफ संदेश देता है कि घाटी में आने वाले और वहां रहे वाले लोग दोनों ही असुरक्षित हैं.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इस वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए और सामान्य स्थिति के दावों के साथ राष्ट्र को गुमराह नहीं करना चाहिए. यह दावा करते हुए कि कश्मीर में स्थिति बिल्कुल भी नहीं है. च्रुंगू ने सरकार से घाटी के लिए एडवाइजरी जारी करने की अपील की है.
हिंदुओं की कमजोरी को नजरअंदाज कर रहे
पनुन कश्मीर के नेता ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार ने क्षेत्र में हिंदुओं की कमज़ोरी को नजरअंदाज किया है. उन्होंने कहा कि अगर हालात वाकई सामान्य होते तो गृह मंत्री अपनी पार्टी को कश्मीर में चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित करते. इसके बजाय कश्मीरी मुस्लिम राजनीतिक ताकतों ने फिर से अपना दबदबा बना लिया है.
चरंगू ने दावा किया कि कश्मीर में चल रही राजनीतिक प्रक्रिया प्रायोजित तरीके से संचालित की जा रही है. उन्होंने कहा कि शांति के साधन के रूप में पर्यटन को बढ़ावा देने की मौजूदा नीति को तुरंत रोका जाना चाहिए.
कश्मीर जाने वाले टूरिस्ट की संख्या में गिरावट
पहलगाम हमले के बाद जम्मू कश्मीर के पर्यटन के बाजार में गिरावट देखी जा सकती है. हाल ही में लोकल सर्कल्स का सर्वे सामने आया है. सर्वे के मुताबिक, 10 में से 6 परिवार 2025 के लिए कश्मीर यात्रा की प्लानिंग और बुकिंग रद्द करेंगे. सर्वे में शामिल 10 में से 3 यात्री अगले 3 सालों में कभी भी कश्मीर की यात्रा कर सकते हैं. 10 में से 3 दूसरे लोग स्थिति से निपटने के लिए सरकार के तरीके के आधार पर अपने कश्मीर जाने की प्लानिंग करेंगे.