दमोह : जिले के पथरिया क्षेत्र के लखरोनी गांव का वार्ड नंबर 15.यहां सरकारी जमीन पर सालों से रह रहे हैं करीब 30-40 गरीब और दलित परिवार.पीढ़ियों से इन लोगों ने यहीं अपना आशियाना बनाया है.लेकिन अब, इन परिवारों को अपने ही घर से बेदखल किए जाने का खतरा मंडरा रहा है.
“हम तो बरसों से यहीं रह रहे हैं.बच्चे यहीं पले-बढ़े। अब कहां जाएंगे? और कैसे जाएंगे?”
बीते मंगलवार को तहसील कार्यालय में इस मामले की सुनवाई हुई। ग्रामीणों की आवाज़ को और मज़बूती देने पहुंचे कांग्रेस के पदाधिकारी.
“यहां के अधिकतर लोग गरीब, मज़दूर और दलित समुदाय से हैं। सरकार को इनकी दुश्वारियों को समझना चाहिए, न कि उन्हें घर से निकालना। हम चाहते हैं कि इन्हें वैकल्पिक भूमि या मकान दिए बिना बेदखल न किया जाए।”
तहसीलदार बृंदेश पांडे:
“यह जमीन स्वास्थ्य विभाग के लिए प्रस्तावित है। लेकिन हम समझते हैं कि बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे। इसलिए हमने पूरी रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को भेजने का निर्णय लिया है। अंतिम निर्णय वहीं से होगा.”
इन झोपड़ियों में सिर्फ दीवारें नहीं, जीवन की उम्मीदें हैं। बच्चों की हँसी, बुज़ुर्गों की दुआएं और रोज़ी-रोटी की मेहनत है।
ग्रामीणों का कहना
हम कानून का सम्मान करते हैं, लेकिन हम भी इंसान हैं. सरकार हमसे हमारा सब कुछ छीन लेगी, तो हम क्या करेंगे यह सिर्फ ज़मीन की लड़ाई नहीं है, यह हक़ और इंसाफ की लड़ाई है। पथरिया के ये परिवार आज सरकार और सिस्टम से सिर्फ एक सवाल पूछ रहे हैं – क्या एक गरीब का कोई हक़ नहीं होता?