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‘हिंदुओं पर हिंसा का बढ़ा-चढ़ाकर किया गया प्रचार’, अंतरिम सरकार के 100 दिन पूरे होने पर बोले बांग्लादेश के चीफ मोहम्मद यूनुस

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने देश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों को लेकर बेवजह डर फैलाया जा रहा है.

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मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के 100 दिन पूरे होने के मौके पर देश की आवाम के नाम एक टेलीविजन संदेश में कहा कि उनकी सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले से जुड़ी हर घटना की जांच कर रही है. हम हरसंभव प्रयास कर रहे हैं ताकि सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि देश का प्रत्येक नागरिक इस हिंसा का शिकार ना हो. हम इसे लेकर प्रयास करते रहेंगे.

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के गठन के बाद से देश पूरी तरह से सुरक्षित है. लेकिन धार्मिक अल्पसंख्यकों को लेकर बेवजह डर फैलाया जा रहा है. मोहम्मद यूनुस ने कहा कि कुछ मामलों में उन पर हिंसा हुई है. लेकिन इन मामलों में ज्यादातर बढ़ा-चढ़ाकर बातें की जा रही हैं. जो भी हिंसा के थोड़े बहुत मामले हुए हैं, वे मुख्य रूप से राजनीति से प्रेरित हैं. दरअसल ये देश को दोबारा अस्थिर करने की साजिश है, जिसके धार्मिक रंग दिया जा रहा है. लेकिन सरकार इस तरह की स्थिति से निपटेगी.

बता दें कि इस दौरान मोहम्मद यूनुस ने कहा कि वह भारत से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेंगे. शेख हसीना इस साल अगस्त में अवामी लीग की सरकार के पतन के बाद भारत भाग गई थीं और फिलहाल यहीं रह रही हैं.

मुहम्मद यूनुस ने कहा कि हम जुलाई-अगस्त क्रांति के दौरान हुई हर हत्या के लिए न्याय सुनिश्चित करेंगे. जिम्मेदार लोगों पर मुकदमा चलाने के प्रयास अच्छी तरह से प्रगति कर रहे हैं, और हम हसीना को जवाबदेह ठहराने के लिए भारत से उनकी वापसी की मांग करेंगे. जॉब कोटा सिस्टम में भेदभाव के खिलाफ शुरू हुए छात्र आंदोलन के बड़े जन विद्रोह में बदलने के कारण शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार को 5 अगस्त को गिरा दिया गया था.

बता दें कि मोहम्मद यूनुस की हालिया टिप्पणी उनकी अंतरिम सरकार के यह कहने के एक हफ्ते बाद आई है कि वह मानवता के खिलाफ कथित अपराधों के मुकदमे का सामना करने के लिए अपदस्थ प्रधानमंत्री और अन्य ‘भगोड़ों’ को भारत से वापस लाने में इंटरपोल की सहायता मांगेगी. वर्तमान सरकार ने हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं पर भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के क्रूर दमन का आदेश देने का आरोप लगाया है, जिसके परिणामस्वरूप विरोध प्रदर्शन के दौरान कई मौतें हुईं.

 

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