बिहार समस्तीपुर : बिहार में आंगनवाड़ी सेविका और सहायिकाएं सरकार की उपेक्षा और शोषण का शिकार हो रही हैं. न्यूनतम मानदेय पर अधिकतम कार्य कराने का आरोप लगाते हुए इन महिलाओं ने अगामी विधानसभा चुनाव में नीतीश सरकार को सत्ता से हटाने की चेतावनी दी है.
वर्तमान में सेविका को मात्र ₹7000 और सहायिका को ₹4000 प्रतिमाह मानदेय दिया जाता है, जबकि उनसे बच्चों की देखभाल, स्वास्थ्य सेवाएं, टीकाकरण, स्कूल पूर्व शिक्षा और सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन जैसे कई जिम्मेदार कार्य लिए जाते हैं.
आक्रोशित सेविकाओं ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा,
“जब सरकार महिला सशक्तिकरण की बात करती है, तो आंगनवाड़ी कर्मियों के साथ भेदभाव क्यों? इस बार हम चुप नहीं बैठेंगे, चुनाव में जवाब देंगे.”
गौरतलब है कि पिछले वर्षों में आंगनवाड़ी कर्मियों ने मानदेय बढ़ोतरी को लेकर कई बार हड़ताल और धरना-प्रदर्शन किया, लेकिन राज्य और केंद्र दोनों सरकारों ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
विरोध कर रहीं महिलाओं ने कहा कि जब टोला सेवक, विकास मित्र, नियोजित शिक्षकों का मानदेय बढ़ सकता है, तो उनके साथ ऐसा भेदभाव क्यों?
नीतीश कुमार ने अपनी विकास यात्रा के दौरान कई आंगनवाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया था, लेकिन जमीनी हालात नहीं बदले. एनडीए सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वह सिर्फ प्रचार में महिला उत्थान की बात करती है, असल में उन्हें उचित अधिकार और पारिश्रमिक नहीं देती.
आंगनवाड़ी कर्मियों का यह आक्रोश अगर चुनाव में वोट में तब्दील हुआ, तो बिहार की राजनीति में बड़ा असर पड़ सकता है.