फर्जी जाति सर्टिफिकेट मामला…राष्ट्रीय अजा आयोग से जांच की मांग:अध्यक्ष की बैठक में गरमाया मुद्दा;

बिलासपुर में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष अंतर सिंह आर्या के प्रवास के दौरान फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मुद्दा प्रमुखता से उठा। राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्य संत कुमार नेताम ने बताया कि छत्तीसगढ़ में 5000 से अधिक लोग फर्जी अजा सर्टिफिकेट से सरकारी नौकरियां कर रहे हैं।

कलेक्ट्रेट में आयोजित आदिवासी समाज प्रमुखों की बैठक में यह मामला सामने आया। संत कुमार नेताम ने कहा कि फर्जी सर्टिफिकेट धारक हाईकोर्ट से स्टे लेकर बैठ जाते हैं और सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती। उन्होंने आरोप लगाया कि महाधिवक्ता कार्यालय इन मामलों पर ध्यान नहीं देता। इसके कारण फर्जी प्रमाण पत्र धारक पेंशन तक प्राप्त कर लेते हैं।

उनका कहना है कि प्यून से लेकर क्लास टू अफसर तक के पदों पर फर्जी प्रमाण पत्र धारकों की मौजूदगी है। बैठक में पदोन्नति में अजा को आरक्षण न मिलने का मुद्दा भी उठा। हसदेव क्षेत्र में बिना ग्राम सभा की अनुमति से पेड़ों की कटाई सहित 10 अन्य मुद्दों पर आयोग को ज्ञापन सौंपा गया।

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को रिपोर्ट पेश करने का आश्वासन

आयोग के अध्यक्ष ने इन मुद्दों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा करने और राष्ट्रपति को रिपोर्ट पेश करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि बैठक में आदिवासी समाजों की ओर से महत्वपूर्ण सुझाव मिले हैं। ये सभी कानूनी और विभिन्न संवैधानिक मुद्दों से जुड़े हुए हैं। इन सभी को राष्ट्रपति और राज्यपाल के ध्यान में लाकर उनका सकारात्मक समाधान किया जाएगा।

अजा अध्यक्ष के समक्ष उठाए गए मुद्दे

बैठक में विभिन्न आदिवासी समाज प्रमुखों ने मुख्य रूप से पेशा और मेशा कानून का पालन कराने, भूराजस्व संहिता की धारा 170 (ख) का उल्लंघन, आदिवासियों को प्राप्त 32 प्रतिशत आरक्षण का पालन नहीं करने, सरकारी नौकरी की पदोन्नति में आरक्षण सुविधा बहाल करने की मांग उठाई।

इसी प्रकार वन अधिकार पट्टा, फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी हासिल करने वालों पर तत्काल कार्रवाई, आदिवासियों की भूमि के गैर आदिवासियों में गैर कानूनी तरीके से तबादला, आदिवासी महिलाओं से शादी कर उनके नाम पर संपति और चुनाव लड़ने पर कार्रवाई की मांग शामिल है।

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