दमोह : बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में पोस्टेड रहे फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन जॉन केम को पुलिस ने फिर से दमोह जेल भेज दिया है.आरोपी की रिमांड अवधि खत्म होने पर सोमवार को उसे कोर्ट में पेश किया गया.
इस दौरान पुलिस ने उससे विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के इलाज के साथ ही उसकी डिग्री सहित अन्य जानकारी ली है, जिसके आधार पर पुलिस उसकी डिग्री का वेरिफिकेशन कराएगी.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान हुई मौत के मामले में उनके बेटे डॉ. प्रदीप शुक्ल ने शिकायत की है.जिस पर सरकंडा पुलिस ने दमोह जेल में बंद अपोलो अस्पताल के पूर्व डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव को गिरफ्तार कर बिलासपुर लाई थी.
2018 में लोकसभा में भी उठा था मामला
यह भी जानकारी सामने आई है कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल और कुछ अन्य लोगों के इलाज में लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार किए गए डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव को भारतीय चिकित्सा परिषद ने 2014 में ही पेशेवर गलती (कदाचार) का दोषी माना था.
इसी कारण डॉक्टर नरेंद्र का रजिस्ट्रेशन 5 साल के लिए सस्पेंड कर दिया गया था.यह मामला मार्च 2018 में लोकसभा में भी उठाया गया था.सरकार की ओर से लिखित रूप से जानकारी दी गई थी.भारतीय चिकित्सा परिषद ने जिन डॉक्टरों पर कार्रवाई की थी, उस सूची में डॉ. नरेंद्र यादव का नाम सबसे पहले था.
आचार नीति की बैठक में की गई थी कार्रवाई
जवाब में उस समय के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्वनी कुमार चौबे ने बताया था कि व्यवसायिक कदाचार के दोषी पाए गए डॉक्टर के खिलाफ एमसीआई के द्वारा कार्रवाई की गई है.21 फरवरी 2014 को हुई आचार नीति की बैठक में डॉ.
नरेंट विक्रमादित्य यादव को सजा दी गई थी कोलकाता से MBBS दार्जिलिंग से की PG
बिलासपुर में आरोपी डॉक्टर से 2 दिन तक पूछताछ की गई. पूछताछ में आरोपी डॉक्टर ने बताया कि उसने एमबीबीएस की पढ़ाई कोलकाता में की थी.इसके बाद उसने पीजी की डिग्री दार्जिलिंग से ली थी। उसने यूके और यूएस में नौकरी के साथ ही पढ़ाई करने का भी दावा किया है.
पुलिस ने अब आरोपी डॉक्टर से पूछताछ के आधार पर उसके दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी है.जल्द ही उसके बताए संस्थान से उसकी डिग्री के संबंध में जानकारी ली जाएगी.इसके अलावा अपोलो अस्पताल से उसके दस्तावेज और भर्ती प्रक्रिया की जानकारी जुटाई जाएगी.
दमोह पुलिस भी कर रही जांच
आरोपी डॉक्टर बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में 2006 में पदस्थ था.इस दौरान उसने छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष पं राजेंद्र प्रसाद शुक्ल का बतौर हार्ट स्पेशलिस्ट उपचार किया। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. इधर बिलासपुर में नौकरी छोड़ने के बाद डॉक्टर अलग-अलग जगहों पर नौकरी करता रहा.
कुछ महीनों से वह दमोह स्थित मिशन अस्पताल में बतौर हार्ट स्पेशलिस्ट काम कर रहा था.इस दौरान कई लोगों की अस्पताल में मौत हो गई। इसकी शिकायत करते हुए डॉक्टर की डिग्री पर संदेह व्यक्त किया.तब मामले की जांच की गई.
इसमें पता चला कि डॉ नरेंद्र विक्रमादित्य की डिग्री फर्जी है। शिकायत पर दमोह पुलिस ने जुर्म दर्ज कर आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया.जिसके बाद पुलिस ने दमोह जेल से आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार कर प्रोडक्शन वारंट पर लेकर आई थी.