भाजपा नेता बताकर धमकाने वाला ‘फर्जी डॉक्टर’, गढ़ा-तिलवारा रिकॉर्ड खोलेगा राज़!

जबलपुर : संस्कारधानी में स्वास्थ्य सेवाओं की आड़ में खुलेआम माफिया राज चलाने वाला स्मार्ट सिटी अस्पताल का संचालक और स्वयंभू भाजपा नेता अमित खरे अब फर्जीवाड़े के साथ गुंडागर्दी में भी रंगे हाथ पकड़ा गया है.मेडिकल काउंसिल में नाम तक दर्ज न होने के बावजूद खुद को डॉक्टर बताने वाला खरे अब एम्बुलेंस चालक पर हमले, गरीब मरीजों से लूट और अब खुलेआम मारपीट और तोड़फोड़ की घटनाओं के चलते सुर्खियों में है.सवाल उठता है कि कब तक यह सफेदपोश राजनीतिक संरक्षण के सहारे कानून को ठेंगा दिखाता रहेगा.
फर्जी डॉक्टर का काला चिट्ठा-
दमोह में फर्जी एमएलसी प्रकरण, सतना में दर्ज परिवाद और आयुष्मान कार्ड घोटाले ने पहले ही खरे की असलियत उजागर कर दी थी.भोपाल स्थित मेडिकल काउंसिल में नाम न होना यह साबित करता है कि खरे की “डॉक्टरी” ही फर्जी है.ऐसे में पूरे प्रदेश में यह चर्चा है कि जब डिग्री ही संदिग्ध है, तो अस्पताल चलाने और इलाज के नाम पर मरीजों से करोड़ों की लूट कैसे जारी है.
घर जाकर कर चुका तोड़फोड़, गुंडागर्दी-
गौरतलब हैं कि 12 अगस्त 2024 को संजीवनी नगर निवासी सुनीता श्रीवास्तव के बेटे प्रज्वल श्रीवास्तव पर अमित खरे और उसके भाई सुमित खरे ने हमला किया था.सुनीता ने एफआइआर में आरोप लगाया था कि खरे बंधुओं ने अपने साथियों के साथ घर के बाहर डंडे लेकर पहुंचे और गंदी गालियां दीं और गाड़ी में तोड़फोड़ की.इतना ही नहीं घर पर पथराव कर 50-60 हजार रुपये का नुकसान भी पहुंचाया। पीड़िता ने सीसीटीवी फुटेज पुलिस को सौंपी थी.जिस पर दोनों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर आरोपी बनाया था.यह घटना साफ बताती है कि खरे सिर्फ फर्जीवाड़ा ही नहीं, बल्कि गुंडागर्दी में भी माहिर है.
भाजपा नेता बताकर धमकाने का खेल-
खरे खुद को कभी पूर्व मंत्री संजय पाठक तो कभी पूर्व मंत्री जालम सिंह पटैल का करीबी और खुद को भाजपा नेता बताकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को खुलेआम धमकाता है.सूत्रों के मुताबिक एक्सीडेंटल मामलों को अपने पक्ष में मोड़ने और दबाव बनाने में भी उसे महारत हासिल है। गढ़ा और तिलवारा थाने के रिकॉर्ड खंगाले जाएं तो खरे के खिलाफ दर्ज मामलों और शिकायतों की लंबी लिस्ट खुलकर सामने आ जाएगी.
कब तक छत्रछाया में पनपेगा फर्जीवाड़ा-
एक ओर गरीब मरीजों के आयुष्मान कार्ड से लूट, दूसरी ओर मेडिकल काउंसिल में नाम न होना और अब खुलेआम मारपीट व धमकी यह सब मिलकर खरे को स्वास्थ्य माफिया साबित करने के लिए काफी हैं.जनता का गुस्सा साफ है कि ऐसे सफेदपोश गुंडे और फर्जी डॉक्टर कब तक राजनीतिक छत्रछाया में बचते रहेंगे? पुलिस और स्वास्थ्य विभाग पर दबाव है कि इस बार कार्रवाई आधी-अधूरी न होकर पूरी तरह निर्णायक हो.
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